भारतीय संविधान का 103वाँ संशोधन –
Amendments of the constitution
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■ ध्यातव्य है कि 103वाँ संवैधानिक संशोधन पूरे भारत में सरकारी नौकरियों और कॉलेजों में सामान्य वर्ग से आने वाले लोगों के बीच आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्गों (EWS) के लिये 10% आरक्षण का प्रावधान करता है। Amendments of the constitution
■ उच्चतम न्यायालय की पाँच जजों की पीठ ने 3:2 के बहुमत से अपना निर्णय दिया, जिसमें 3 जजों ने आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्गों के लिये 10% आरक्षण की व्यवस्था का समर्थन किया जबकि 2 जजों ने इसके विरोध में मत व्यक्त किये। Amendments of the constitution
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■ पहला, व्यक्तिगत आर्थिक स्थिति पर आरक्षण के निर्धारण ने आरक्षण के मूल तर्क को कमजोर कर दिया।
■ दूसरा, यह संशोधन भेदभावपूर्ण है क्योंकि यह EWS के लाभ से एससी, एसटी और ओबीसी को बाहर करता है जो अन्य मामलों में अनुच्छेद 15 और 16 के मौजूदा प्रावधानों के तहत आरक्षण के हकदार हैं। ■ तीसरा, कुछ याचिकाकर्त्ताओं ने यह भी तर्क दिया कि संशोधन आरक्षण की 50% की सीमा का उल्लंघन करता है।
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■ इस मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस दिनेश माहेश्वरी, जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस जेबी पर्दीवाला ने माना कि 103वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 2019 संविधान की मूल संरचना का उल्लंघन नहीं करता है।
आरक्षण एक समतावादी समाज के लक्ष्यों की ओर एक सर्व समावेशी
प्रगति सुनिश्चित करने के लिये राज्य द्वारा सकारात्मक कार्रवाई का एक साधन है।
■ यह न केवल सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों को समाज की मुख्यधारा में शामिल करने का एक साधन है, बल्कि किसी भी अन्य प्रकार से कमजोर वर्ग की श्रेणी में आने वाले वर्गों के समावेशन
का भी एक साधन है। Amendments of the constitution
इस संदर्भ में एकमात्र आर्थिक पृष्ठभूमि के आधार पर आरक्षण का प्रावधान भारतीय संविधान की किसी भी आवश्यक विशेषता का उल्लंघन नहीं करता है। Amendments of the constitution
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■ न्यायमूर्ति माहेश्वरी ने इस तर्क को खारिज कर दिया कि मंडल आयोग के मामले द्वारा निर्धारित 50 प्रतिशत की सीमा से अधिक ईडब्ल्यूएस कोटा प्रदान करना बुनियादी ढाँचे का उल्लंघन होगा, उन्होंने कहा कि यह सीमा केवल ‘विधान के अनुच्छेद 15(4), 15(5) और 16(4) के तहत पहले से ही आरक्षित श्रेणियों के लिये परिकल्पित आरक्षण पर लागू होता है। Amendments of the constitution
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अपने अल्पमत विचार में न्यायमूर्ति भट और मुख्य न्यायाधीश ललित ने कहा कि हालांकि आर्थिक अभाव और गरीबी के आधार पर कोटा ‘वैध‘ है और ‘संवैधानिक रूप से अपरिहार्य‘ है. परंतु सामाजिक और शैक्षिक रूप से वंचित वर्गों (जैसे- अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति/ अन्य पिछड़ा वर्ग आदि) को केवल इस आधार पर EWS से बाहर रखना न्याय नहीं होगा कि उन्हें पहले से ही अपनी जाति और वर्ग मूल के आधार पर 50% आरक्षण का लाभ मिल रहा है। Amendments of the constitution
■ न्यायमूर्ति भट ने कहा कि आरक्षण की 50% सीमा के उल्लंघन की अनुमति देना भविष्य में इस सीमा के उल्लंघन के लिये एक प्रवेश द्वार बन जाएगा। Amendments of the constitution
■ EWS आरक्षण व्यवस्था को लागू करने के लिये 103वें संविधान (संशोधन) अधिनियम, 2019′ के माध्यम से भारतीय संविधान के अनुच्छेद-15 और अनुच्छेद-16 में संशोधन किया गया था। Amendments of the constitution
■ इस संशोधन के माध्यम से संविधान में अनुच्छेद-15 (6) और अनुच्छेद-16
(6) को जोड़ा गया था। यह संशोधन आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (EWS) के लिये नौकरियों और शैक्षिक संस्थानों में प्रवेश के लिये आर्थिक आधार पर आरक्षण का प्रावधान करता है।
■ EWS श्रेणी के तहत 10% आरक्षण उन व्यक्तियों पर लागू होता है जो
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद
हाल ही में भारत की अगुवाई में आतंकवाद के मुद्दे पर चर्चा के लिये देश के दो शहरों (नई दिल्ली एवं मुंबई) में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की ‘आतंकवाद रोधी समिति‘ (Counter-Terrorism Committee-CTC) की विशेष बैठक का आयोजन किया गया।
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■ वर्ष 2001 में UNSC-CTC की स्थापना के बाद से भारत में इसकी
पहली ऐसी बैठक आयोजित की गई है। संयुक्त राष्ट्र में भारत का स्थायी
प्रतिनिधि 2022 के लिये CTC के अध्यक्ष के रूप में कार्य करता है।
■ भारत द्वारा इस बैठक के दो चरणों का आयोजन आतंकवादी घटनाओं से प्रभावित दो शहरों- नई दिल्ली (दिसंबर 2001 ) एवं मुंबई (नवंबर 2008) करते हुए इस पर पुनः विश्व का ध्यान आकर्षित करने का प्रयास किया है।
■ इस बैठक की थीम विषय- ‘आतंकवादी उद्देश्यों के लिये नई एवं उभरती प्रौद्योगिकियों के उपयोग का मुकाबला करना था तथा इसके तहत आतंकवाद में क्रिप्टो करेंसी और ड्रोन के उपयोग के माध्यम से आतंक-वित्तपोषण की समस्या पर भी चर्चा की गई।
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भारत ने UNSC-CTC की बैठक में विचार करने हेतु पाँच बिंदु प्रस्तुत किये, जो निम्नलिखित हैं:
■ आतंक-वित्तपोषण का मुकाबला करने के लिये प्रभावी और निरंतर प्रयास। ■ संयुक्त राष्ट्र के प्रयासों को ‘वित्तीय कार्रवाई कार्य बल‘ (FATF) जैसे अन्य मंचों के साथ समन्वित करने की आवश्यकता।
■ सुनिश्चित करें कि सुरक्षा परिषद की प्रतिबंध व्यवस्था राजनीतिक कारणों से अप्रभावी न रह जाए।
■ आतंकवादियों और उनके प्रायोजकों के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और ठोस कार्रवाई जिसके तहत आतंकवादियों को आश्रय देने वाले स्थलों को नष्ट करना आदि शामिल हैं।
■ इन संबंधों को पहचाने और हथियारों और अवैध मादक पदार्थों को तस्करी जैसे अंतर्राष्ट्रीय संगठित अपराध के साथ आतंकवाद की साँठगाँठ
को तोड़ने के लिये बहुपक्षीय प्रयासों को मजबूत करें। इस बैठक के अंत में आतंकवादी उद्देश्यों के लिये नई और उभरती प्रौद्योगिकियों के उपयोग का करने पर दिल्ली घोषणा पत्र जारी किया गया।
■ आतंकवाद एवं नवीन प्रौद्योगिकी इस घोषणा- 1-पत्र में सभी देशों ने आतंकवादी समूहों द्वारा नई प्रौद्योगिकियों, इंटरनेट, फिनटेक एवं सोशल मीडिया के उपयोग पर चिंता व्यक्त करते हुए आतंकवाद रोधी प्रयासों में तकनीकी नवोन्मेष की आवश्यकता को रेखांकित किया। ■ आधुनिक हथियार इस बैठक में सदस्य देशों ने आतंकवादियों द्वारा
महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे को लक्षित करने एवं मादक पदार्थ व हथियारों
की तस्करी के लिये मानव रहित हवाई प्रणालियों (Unmanned Aerial
Systems-UAS) के बढ़ते वैश्विक दुरुपयोग पर चिंता व्यक्त की।
■ हाल में रूस-यूक्रेन संघर्ष की शुरुआत के बाद से वैश्विक स्तर पर आतंकवाद के मुद्दे पर आवश्यक ध्यान नहीं दिया जा सका है। ■ आतंकवाद की वैश्विक चुनौती के बावजूद भी भारत वर्ष 2008 के मुंबई आतंकी हमलों के कई आरोपियों को सजा दिलाने में असफल रहा है।
■ अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का अभावः अमेरिका ने आतंकवाद पर भारत के साथ कई मामलों में सहयोग किया है और मुंबई आतंकी हमले के साजिशकर्ता डेविड हेडली और तहव्वर राणा को दोषी ठहराया, लेकिन उन्हें प्रत्यर्पित करने से इनकार कर दिया।
■ इसके अतिरिक्त चीन ने UNSC 1267 आतंकी सूची में लश्कर के नेताओं को नामित करने के प्रयासों सहित भारत के कम-से-कम पाँच प्रस्तावों को वीटो किया है।
वर्तमान में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित आतंकवाद रोधी तंत्र को अमेरिका में 26 सितंबर, 2001 को हुए आतंकी हमलों के बाद स्थापित किया गया था हालांकि इस हमले के लगभग दो वर्ष पूर्व (दिसंबर 1999) में भारतीय विमान IC-814 हाइजैक मामले में भारत की अपील पर पश्चिमी देशों ने अधिक ध्यान नहीं दिया और भारत को कई आतंकियों को रिहा करना पड़ा. हालाँकि इन्हीं आतंकियों ने बाद में अमेरिका, यूएई, पाकिस्तान आदि में हमले किये। Amendments of the constitution
■ क्षेत्रीय चुनौतियाँ: अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी एवं तालिबान प्रशासन में महिलाओं एवं अल्पसंख्यकों के प्रति दुव्र्व्यवहार पर वैश्विक निष्क्रियता इस बात का संकेत है कि आने वाले समय में भारत को क्षेत्रीय चुतियों से अकेले निपटने हेतु तैयार रहना होगा >Amendments of the constitution