1-Black hole (ब्लैक होल ):– हॉकिंग के विचार
Black hole आइंस्टीन के सापेक्षिकता सिद्धांत के समीकरणों के आधार पर यह निष्कर्ष निकलता है कि ब्रह्मांड की उत्पत्ति अनंत घनत्व वाले एक बिंदु (Point of Singularity) में महाविस्फोट होने से हुई है।
*वैज्ञानिकों का मानना है कि इस बिंदु पर भौतिकी के सभी नियम टूट जाते हैं क्योंकि इस बिंदु के अनंत घनत्व की स्थिति को कोई भी नियम या सिद्धांत समझ पाने में समर्थ नहीं है। लेकिन, ‘आधुनिक आइंस्टीन‘ के नाम से विख्यात स्टीफेन विलियम हॉकिंग ने इस विलक्षणता के बिंदु को लेकर एक नया विचार देकर पुराने नियमों की चूलें हिला दी। Black hole
क्र.सं0 | Black hole (ब्लैक होल से संबन्धित महत्वपूर्ण सारणी) |
1 | Black hole (ब्लैक होल ):– हॉकिंग के विचार Black hole |
2 | फिजिक्स के नियमों के अनुसार ब्लैक |
3 | क्वांटम यांत्रिकी के सिद्धान्त |
4 | ब्लैक होल के ‘वाष्पन‘ की संज्ञा |
5 | ब्रह्मांड की उत्पत्ति संबंधी समीकरणों का गठन
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2- फिजिक्स के नियमों के अनुसार ब्लैक होल
फिजिक्स के नियमों के अनुसार ब्लैक होल या श्याम विवर पदार्थ व ऊर्जा का केवल भक्षण कर सकते हैं, उत्सर्जन नहीं जबकि हॉकिंग का कहना है कि ब्लैक होल | से भी विकिरण का उत्सर्जन होता है। हॉकिंग ने यह निष्कर्ष क्वांटम यांत्रिकी के नियमों को ब्लैक होल पर लागू करके निकाला है। Black hole
3-क्वांटम यांत्रिकी के सिद्धान्त Black hole
Black hole
क्वांटम यांत्रिकी के सिद्धान्तों के अनुसार ब्रह्मांड कहीं भी पूरी तरह खाली नहीं है, यहाँ तक कि निर्वात (Vaccum) भी इसका अपवाद नहीं है। इसके अनुसार निर्वात में भी आभासी युगल कणों का लगातार बनना या नष्ट होना चलता रहता है।
*कणों के बनने और नष्ट होने की यह प्रक्रिया इतनी तेजी से होती है कि ना तो इसे देखना संभव है और ना ही मापना। हाँ, इन कणों के प्रभावों का मापन किया जा सकता है। निर्वात में, जब ब्लैक होल के घटना क्षितिज (जहाँ ब्लैक होल की परिसीमा खत्म हो जाती है) के पास ऐसे आभासी युगल कण बनते हैं तो इनमें से ऋणात्मक ऊर्जा वाला कण तो ब्लैक होल द्वारा आकर्षित कर लिया जाता है जबकि धनात्मक ऊर्जा वाला कण बाहरी अंतरिक्ष में चला जाता है। Black hole
*असल में इन युगल कणों में एक कण होता है और दूसरा उसका प्रतिकण। यह सारा घटनाक्रम बहुत ही तेजी के साथ घटित होता है। बाहरी अंतरिक्ष में जाने वाले कण से ऐसा लगता है कि ब्लैक होल से विकिरण निकल रहा है। इस विकिरण को ‘हॉकिंग विकिरण‘ (Hawking Radiation) कहा जाता है। Black hole
4-ब्लैक होल के ‘वाष्पन‘ की संज्ञा Black hole
Black hole
साथ ही आइंस्टीन के समीकरण के अनुसार ब्लैक होल के द्रव्यमान में भी कमी आती है। इसके फलस्वरूप ब्लैक होल के घटना क्षितिज का क्षेत्रफल कम होता चला जाता है।हॉकिंग के अनुसार वाष्पीभूत होते- होते ब्लैक होल एक ऐसे छोटे गोले के आकार में बदल जाता है जिसका व्यास प्लांक लंबाई (105 मीटर) के बराबर होता है।
यदि ब्लैक होल और अधिक ऊर्जा का विकिरण करता है तो उसका अस्तित्व ही समाप्त हो जाता है, इसलिए सिद्धांततः प्लांक-लंबाई से कम की दूरी की कोई सार्थकता नहीं है। इस तरह विलक्षणता के बिंदु को दरकिनार कर ब्रह्मांड की उत्पत्ति संबंधी समीकरणों का गठन किया जा सकता है। Black hole
5-हॉकिंग ने ऐसे ब्रह्मांड की कल्पना
हॉकिंग ने अपने इस सिद्धांत में समय को काल्पनिक माना है क्योंकि काल्पनिक समय में ही किसी विलक्षणता का अस्तित्व नहीं होता। इस हिसाब से हॉकिंग ने ऐसे ब्रह्मांड की कल्पना की है जिसका न कोई किनारा है, न कोई परिसीमा और जिसका न कोई आदि है और न कोई अंत मानना है कि प्रसरणशील यह ब्रह्मांड एक सीमा तक फैलने के कंग का पने अधिकतम आकार तक पहुँच जाएगा और फिर संकुचित होते अपने मूल आकार में जा पहुँचेगा। Black hole
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