1- जगुआर लैटिन अमेरिका की सबसे बड़ा मांसाहारी और एकमात्र current affairs in hindi 2022
current affairs in hindi 2022
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जगुआर लैटिन अमेरिका की सबसे बड़ा मांसाहारी और एकमात्र बड़ी बिल्ली है, जो मेक्सिको से अर्जेंटीना तक 18 देशों में पाया जाता है।
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इसका वैज्ञानिक नाम क्या है?current affairs in hindi 2022
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उत्तर –नाम पैंथेरा ओंका है।
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इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (IUCN) की खतरे वाली प्रजातियों की रेड लिस्ट में : ” संकटग्रस्त प्रजाति” के रूप में, जगुआर अल सल्वाडोर और उरुग्वे में विलुप्त है और शेष रेंज देशों में दबाव का सामना कर रहा है। current affairs in hindi 2022
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वन्य जीवों और वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन (CITES) सूची: परिशिष्ट I में आते
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जगुआर ने अपने प्राकृतिक आवास रेंज में 50% से अधिक नुकसान का अनुभव किया है। current affairs in hindi 2022
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जगुआर को अक्सर तेंदुए के रूप में समझा जाता है, लेकिन उनके शरीर पर हो रहे धब्बे से उन्हें विभेदित किया जा सकता है। current affairs in hindi 2022
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जबकि कई बिल्लियाँ पानी से बचती हैं, जगुआर अच्छे तैराक होते हैं और यहाँ तक कि पनामा नहर में तैरने के लिये भी जाने जाते हैं।
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जगुआर की पहचान इसकी पूरी शृंखला में एक प्रजाति के रूप में की गई है, जो प्रजातियों की आनुवंशिक विविधता के लिये
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इसके निवास स्थान के संबंध और संरक्षण को महत्त्वपूर्ण बनाती है।
अंतर्राष्ट्रीय जगुआर दिवस को जगुआर के सामने बढ़ते खतरों और मेक्सिको से अर्जेंटीना तक इसके अस्तित्व को सुनिश्चित करने वाले महत्त्वपूर्ण संरक्षण प्रयासों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिये मनाया जाता है।
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ई-ऑफिस, ई-गवर्नेंस पहल के हिस्से के रूप में एक मिशन-मोड परियोजना है।
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ई-ऑफिस पहल वर्ष 2009 में शुरू हुई थी, लेकिन कागजी कार्रवाई के विशाल ढेर एक बाधा थी और अभी भी है यह ऐसी बाधा है जिसे पार करना बहुत कठिन है।
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केरल में इडुक्की वर्ष 2012 में और हैदराबाद वर्ष 2016 में पेपरलेस हो गया था।
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इसका उद्देश्य कार्यप्रवाह तंत्र और कार्यालय प्रक्रिया नियमावली में सुधार के माध्यम से सरकारी मंत्रालयों और विभागों की परिचालन दक्षता में उल्लेखनीय सुधार करना है।
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दैनिक खबर से संबन्धित ब्याख्या
क्र.सं0 |
दैनिक हेडलाइन |
दैनिक खबर से संबन्धित ब्याख्या – |
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इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (IUCN) की खतरे वाली प्रजातियों की रेड |
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ई-ऑफिस पहल |
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मृत्यु दर में गिरावट
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भारत के महापंजीयक (Registrar General of India- RGI) द्वारा हाल ही में जारी नमूना पंजीकरण प्रणाली (Sample Registration System- SRS) सांख्यिकीय रिपोर्ट, 2020 |
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SDGलक्ष्यों की स्थिति: |
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नमूना पंजीकरण प्रणाली (Sample Registration System- SRS) क्या है? |
यह वर्ष 1964-65 में कुछ राज्यों में |
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भारत का रजिस्ट्रार जcurrent affairs in hindi 2022नरल क्या |
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एयरपोर्ट निदेशक ने बताया कि डिजी यात्रा के तहत यात्रियों के लिये उनका चेहरा ही बोर्डिंग पास होगा। इससे यात्रियों को तमाम कागज़ात से छुटकारा मिलेगा और उनके समय की बचत होगी।
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पहले घरेलू विमानों पर इस डिजी यात्रा के तहत प्रवेश दिया जाएगा, उसके बाद अंतर्राष्ट्रीय विमानों के लिये डिजी यात्रा की शुरुआत की जाएगी। इससे बोर्डिंग पास के दौरान लगने वाले समय में 50 फीसदी की बचत होगी।
उन्होंने बताया कि एयरपोर्ट पर यात्री मोबाइल से भी डिजी यात्रा के लिये पंजीकरण करा सकते हैं। एयरपोर्ट पर लगे डिजी यात्रा क्यूआर कोड को मोबाइल से स्कैन किया जाएगा। इसके बाद पंजीकरण के लिये आधार कार्ड, पैन कार्ड, मोबाइल नंबर ज़रूरी होगा। current affairs in hindi 2022
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डिजी यात्रा के लिये प्ले स्टोर से डिजी यात्रा ऐप डाउनलोड कर यात्री घर-बैठे भी पंजीकरण कर सकते हैं। इससे यात्रियों के समय की बचत के साथ उन्हें आसानी से टर्मिनल भवन में प्रवेश मिलेगा।
इसके अलावा डिजी यात्रा के दौरान एयरपोर्ट पर लगी मशीन में यात्री का बेसिक डाटा स्टोर हो जाएगा। इसके बाद जब भी यात्रा करना होगा, उसे किसी भी तरह के कागज़ों की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। यात्री एयरपोर्ट पर डिजी यात्रा मशीन में अपना चेहरा व टिकट स्कैन करा कर प्रवेश कर सकेंगे।
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एक दिसंबर को डिजी यात्रा के जरिये प्रवेश पाने वाले यात्री को विशेष इनाम दिया जाएगा। इसके अलावा अन्य यात्रियों को भी उपहार दिया जाएगा।
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अर्यमा सान्याल ने बताया कि एयरपोर्ट के गेट नंबर दो पर ही डिजी यात्रा की सुविधा होगी। डिजी यात्रियों के लगेज के लिये अलग काउंटर होगा। इन यात्रियों के लगेज
संबंधित काउंटर से विमान तक पहुँचा दिये जाएंगे।
भारत के महापंजीयक
(Registrar General of India- RGI) द्वारा हाल ही में जारी नमूना पंजीकरण प्रणाली (Sample Registration System- SRS) सांख्यिकीय रिपोर्ट, 2020 के अनुसार, वर्ष 2014 से सतत् विकास लक्ष्यों को वर्ष 2030 तक प्राप्त करने की दिशा में देश में शिशु मृत्यु दर (IMR), 5 वर्ष की आयु से कम मृत्यु दर से कम (U5MR) और नवजात मृत्यु दर (Neonatal Mortality Rate-NMR) में उत्तरोत्तर कमी देखी जा रही है।
5 वर्ष की आयु से कम मृत्यु दर से कम (U5MR): देश में U5MR में वर्ष 2019 से 3 अंक (वार्षिक गिरावट दर: 8.6%) की महत्त्वपूर्ण गिरावट हुई है (वर्ष 2019 में प्रति 1000 जीवित जन्मों पर 35 के मुकाबले वर्ष 2020 में प्रति 1000 जीवित जन्म पर 32)। यह ग्रामीण क्षेत्रों में 36 से शहरी क्षेत्रों में 21 तक भिन्न-भिन्न है। current affairs in hindi 2022
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बालिकाओं के लिये U5MR बालकों (31) की तुलना में अधिक (33) है। इसी अवधि के दौरान पुरुष U5MR में 4 अंक और महिला U5MR में 3 अंक की गिरावट आई है।
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U5MR में सबसे अधिक गिरावट उत्तर प्रदेश और कर्नाटक राज्यों में देखी गई है।
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IMR ने भी वर्ष 2019 में 30 प्रति 1000 जीवित जन्मों से वर्ष 2020 में प्रति 1000 जीवित जन्मों पर 2 अंकों की गिरावट दर्ज की (वार्षिक गिरावट दर: 6.7%)।
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ग्रामीण-शहरी अंतर 12 अंक (शहरी 19, ग्रामीण 31) तक सीमित हो गया है।
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वर्ष 2020 में कोई लिंग अंतर नहीं देखा गया है (बालक –28, बालिका – 28)।
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नवजात मृत्यु दर (Neonatal Mortality Rate- NMR):
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यह वर्ष 2019 में 22 प्रति 1000 जीवित जन्मों से 2 अंकों की गिरावट के साथ वर्ष 2020 में प्रति 1000 जीवित जन्मों पर 20 हो गई है (वार्षिक गिरावट दर: 9.1%)। यह शहरी क्षेत्रों में 12 से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में 23 तक है।
SDG लक्ष्यों की स्थिति:
छह राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों ने पहले ही NMR (<=12 वर्ष 2030 तक) का SDG लक्ष्य हासिल कर लिया है:
क्र.सं0 |
SDG लक्ष्यों की स्थिति: राज्य |
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तमिलनाडु (9), |
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महाराष्ट्र (11) |
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जम्मू और कश्मीर (12) |
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ग्यारह राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों ने पहले ही U5MR (25 वर्ष 2030 तक) का SDG लक्ष्य प्राप्त कर लिया है:
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केरल (8), तमिलनाडु (13), दिल्ली (14), महाराष्ट्र (18),
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जम्मू-कश्मीर (17), कर्नाटक (21) पंजाब (22), पश्चिम बंगाल (22)
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, तेलंगाना (23), गुजरात (24) और हिमाचल प्रदेश (24)।
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यह वर्ष 1964-65 में कुछ राज्यों में भारत के रजिस्ट्रार जनरल द्वारा पायलट आधार पर शुरू किया गया था, यह वर्ष 1969-70 के दौरान पूरी तरह से चालू हो गया।
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क्षेत्रीय जाँच में चयनित नमूना इकाइयों में निवासी अंशकालिक प्रगणकों, आम तौर पर आँगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और शिक्षकों द्वारा जन्म और मृत्यु की निरंतर गणना और SRS पर्यवेक्षकों द्वारा हर छह महीने में एक स्वतंत्र सर्वेक्षण शामिल है। इन दो स्वतंत्र पदाधिकारियों द्वारा प्राप्त आंकड़ों का मिलान किया जाता है।
भारत के रजिस्ट्रार जनरल की स्थापना वर्ष 1961 में गृह मंत्रालय के तहत भारत सरकार द्वारा की गई थी।
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यह भारत की जनगणना और भारतीय भाषा सर्वेक्षण सहित भारत के जनसांख्यिकीय सर्वेक्षणों के परिणामों की व्यवस्था, संचालन और विश्लेषण करता है।
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रजिस्ट्रार का पद आमतौर पर एक सिविल सेवक को प्राप्त होता है जो संयुक्त सचिव का पद धारण करता है।
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इस समय के दौरान बदलाव के क्या कारण रहे?
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जैसा कि देखा गया है पिछले कुछ वर्षों से राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) U5MR, शिशु मृत्यु दर या नवजात मृत्यु दर एवं मातृ मृत्यु दर के मामले में भी देश के लिये एक गेम चेंजर रहे हैं।
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शुरू किया गया) और राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन (वर्ष 2013 में शुरू किया गया) को मिलाकर शुरू किया गया था।
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मुख्य कार्यक्रम संबंधी घटकों में शामिल हैं– प्रजनन-मातृ-नवजात-बच्चे और किशोर स्वास्थ्य (RMNCH+A), संचारी और गैर-संचारी रोगों के लिये ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में स्वास्थ्य प्रणाली का सुदृढ़ीकरण।
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NHM न्यायसंगत, सस्ती और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं तक सार्वभौमिक पहुँच की उपलब्धि की परिकल्पना करता है जो लोगों की ज़रूरतों के प्रति जवाबदेह और उत्तरदायी हैं।
राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (UTs) को सहायता:
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राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों के मानदंडों के अनुसार, नई सुविधाएँ स्थापित करने और उनकी आवश्यकता के आधार पर बुनियादी ढांचे की कमियों को पाटने के लिये मौजूदा सुविधाओं के उन्नयन के लिये NHM सहायता प्रदान की जाती है।
स्वास्थ्य सेवाएँ:
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NHM सहायता मातृ स्वास्थ्य, बाल स्वास्थ्य, किशोर स्वास्थ्य, परिवार नियोजन, सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम, और तपेदिक जैसी प्रमुख बीमारियों, मलेरिया, डेंगू और कालाजार, कुष्ठ रोगजैसी वेक्टर जनित बीमारियों से संबंधित कई मुफ्त सेवाओं के प्रावधान के लिये भी प्रदान की जाती है।
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नि:शुल्क दवाओं का कार्यान्वयन और नि:शुल्क निदान सेवा पहल।
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पीएम राष्ट्रीय डायलिसिस कार्यक्रम।
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सभी सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं में राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन ढांचे का कार्यान्वयन।
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मोबाइल चिकित्सा इकाइयों (MMU) और टेली-परामर्श सेवाओं को भी विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच में सुधार के लिये लागू किया जा रहा है।
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प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (AB-PMJAY)।
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कुपोषण: राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 (NFHS-5) के अनुसार, पांच साल से कम उम्र के बच्चों (58.6-67 प्रतिशत), महिलाओं (53.1-57 प्रतिशत) और पुरुषों (22.7-25 प्रतिशत) में एनीमिया का मामला सामने आया हैं। भारत के सभी राज्यों में (20%-40% घटनाओं को सामान्य माना जाता है)।
बच्चे का जन्म घर पर हुआ हो या किसी सुविधापूर्ण स्थान पर, यह भी शिशु के जीवित रहने की दर निर्धारित करता है। गैर-संस्थागत प्रसव के मामले में संक्रमण का जोखिम अधिक होता है।
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हालाँकि भारत की संस्थागत प्रसव की हिस्सेदारी वर्ष 2019-2021 (NFHS-5) में बढ़कर 88.6% हो गई, जो वर्ष 2005-06 (NFHS 3) में 40.8% थी, फिर भी विकसित देशों की तुलना में यह बहुत कम है। current affairs in hindi 2022
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प्रतिरक्षा की कमी और कम वैक्सीन अनुपालन स्तर
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: निमोनिया, समय से पहले जन्म, जन्म के समय कम वजन, दस्त रोग, नवजात संक्रमण, जन्म श्वासावरोध, आदि भी ऐसे कारण हैं जो शिशु मृत्यु का कारण बनते हैं।
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शिक्षा की कमी:
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मातृ शिक्षा से माताओं को विभिन्न स्वास्थ्य मुद्दों के बारे में पता होने की संभावना बढ़ जाती है और इस प्रकार ऐसे मुद्दों को रोकने की दिशा में सही और उचित कदम उठाए जाते हैं।
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मां की उम्र:
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जन्म के समय मां की उम्र अहम भूमिका निभाती है। उदाहरण के लिये माताओं की उम्र और बच्चों में एनीमिया की घटनाओं के बीच एक विपरीत संबंध मौजूद है। इस बात से जुड़े सबूत हैं कि छोटी माताओं के बच्चे एनीमिया से अधिक पीड़ित होते हैं।
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आधारभूत संरचना और गुणवत्ता में सुधार:
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अस्पतालों की आधारभूत संरचना और गुणवत्ता भी मृत्यु दर को और कम करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। गुणवत्ता सुधार का उद्देश्य स्वास्थ्य देखभाल के विकास के संदर्भ में अनुमानित परिणाम प्राप्त करना और परिणामों में सुधार करना है।
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शहरी-ग्रामीण विषमताएँ:
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देश के हर हिस्से में, शहरी से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक, व्यवस्थित परिवर्तन लाने की आवश्यकता है जो इन क्षेत्रों में सामाजिक-आर्थिक तनाव को कम कर सकते हैं।
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राजनीतिक इच्छाशक्ति:
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वित्त की उपलब्धता (केंद्र से) और साथ ही राज्यों द्वारा इसका विवेकपूर्ण उपयोग, तैयार की गई नीतियों के प्रभावी कार्यान्वयन और स्वास्थ्य हेतु बुनियादी ढाँचे को तैयार करना आवश्यक है।
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एकीकृत दृष्टिकोण:
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विभिन्न योजनाओं के बेहतर समन्वय, अभिसरण और समग्र एकीकरण को सुनिश्चित करने के लिये संबंधित मंत्रालय एक दूसरे के साथ सहयोग कर सकते हैं।
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सभी संकेतकों पर ध्यान देने की आवश्यकता
: प्रत्येक संकेतक के पहलुओं से स्थितियों को देखने और उनकी बहुत सावधानी से निगरानी करने की तत्काल आवश्यकता है ताकि दुनिया में किसी भी मां या बच्चे को अनावश्यक रूप से न खोएँ। -
निजी क्षेत्र की भागीदारी: current affairs in hindi 2022
परीक्षा से संबन्धित महत्वपूर्ण दैनिक खबर https://pcshindi.com/upsc-current-affairs/