मूल अधिकार {fundamental rights
fundamental rights नेहरू रिपोर्ट (1928) द्वारा मूल अधिकारों को भारत के संविधान में सम्मिलित करने की आकांक्षा प्रकट की गई थी। https://pcshindi.com/
* भारतीय संविधान में भाग 3 के अंतर्गत अनुच्छेद 12-35 में मौलिक अधिकारों का वर्णन किया गया है, जो निम्नलिखित हैं-
(1) समानता का अधिकार, | (4) धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार, |
(2) स्वतंत्रता का अधिकार, | (5) संस्कृति और शिक्षा संबंधी अधिकार एवं , fundamental rights |
(3) शोषण के विरुद्ध अधिकार, | (6) सवैधानिक उपचारों का अधिकार। |
* भारतीय संविधान में मौलिक अधिकारों को राज्य के कृत्यों के विरुद्ध एक गारंटी के रूप में स्थान दिया गया है।–
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* मौलिक अधिकार पूर्णतया नैसर्गिक एवं अप्रतिदेय की श्रेणी में आते हैं। प्राकृतिक स्वाभाविक अनुच्छेद 352 के तहत आपात की उद्घोषणा के प्रवर्तन की स्थिति में अनुच्छेद 358 एवं 359 के प्रावधानों के अंतर्गत ही मूल अधिकारों का निलंबन किया जा सकता है। fundamental rights
* मौलिक अधिकारों को न्याययोग्य (वाद योग्य) रूप में संविधान में रखा गया है। वर्तमान में कुल 6 मौलिक अधिकार प्रदान किए गए हैं, जबकि मूल संविधान में 7 मौलिक अधिकार थे।
* भारतीय संविधान में दिए गए मौलिक अधिकारों की तुलना अमेरिका के “अधिकार बिल” से की जाती है। * भारतीय संविधान में मौलिक अधिकारों के संरक्षण का दायित्व न्यायपालिका के पास है।
संविधान के महत्वपूर्ण अनुच्छेद –
*संविधान. का अनुच्छेद 14 यह सुनिश्चित करता है कि किसी भी व्यक्ति को विधि के समक्ष समता से या विधियों के समान संरक्षण से वंचित नहीं किया जाएगा। इस रूप में अनुच्छेद 14 विधायन सत्ता पर नियंत्रण लगाता है।
* भारतीय संविधान में समानता के अधिकार को अनुच्छेद 14 से 18 तक कुल पांच अनुच्छेदों में वर्णित किया गया है, जो कि अग्रलिखित हैं- •अनुच्छेद 14
विधि के समक्ष समता – ,धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध अनुच्छेद 15
• लोक नियोजन के विषय अवसर की समता – अनुच्छेद 16, • अस्पृश्यता (छुआछूत) का अंत अनुच्छेद 17 • उपाधियों का अंत अनुच्छेद 18 * अनुच्छेद 19 Cakor. ation – की स्वतंत्रता सहित कुल 6 प्रकार की स्वतंत्रताएं प्रदान की अनुच्छेद 19(1)(क) में प्रावधानित वाक् एवं अभिव्यक्ति की अमित गई स्वत तक अंतर्गत ही समाचार-पत्रों की स्वतंत्रता भी निहित मानी जाती है।
न्यायालय ने अपने अनेक निर्णयों में ‘सूचना के अधिकार‘ को अनु पद Z9(1) (क) में प्रदत्त वाक् एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार में समाना है। * संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ख) में शांतिपूर्वक एवं निर जम्मेलन की स्वतंत्रता, अनुच्छेद 19(1) (ग) में संगम या संघ ( या सह श्री सोसाइटी) बनाने की स्वतंत्रता, अनुच्छेद 19(1) (घ) में भारत के राज्य क्षेत्र में सर्वत्र अबाध संचरण की स्वतंत्रता, अनुच्छेद 19(1) (ख) के तहत भारत के राज्यक्षेत्र के किसी भाग में निवास करने और बस जाने की स्वतंत्रता तथा अनुच्छेद 19(1) (छ) के तहत कोई वृत्ति, व्यापार या कारोबार करने की स्वतंत्रता का प्रावधान किया गया है।
* 44वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1978 के द्वारा, अनुच्छेद 19(1) (च) का लोप कर दिया गया है।
*अनुच्छेद 19(1) (क) से लेकर 19 (1) (छ) तक में दी गई विभिन्न स्वतंत्रताओं पर 19(2) से लेकर 19 (6) तक में दिए गए विभिन्न आधारों पर निबंधन आरोपित किए जा सकते हैं।
* अनुच्छेद 20 का संबंध अपराधों के लिए दोषसिद्धि के संबंध में संरक्षण से, अनुच्छेद 21 का संबंध प्राण एवं दैहिक स्वतंत्रता के संरक्षण (जीवन का अधिकार) से एवं अनुच्छेद 21-क शिक्षा के अधिकार से संबंधित है।
* अनुच्छेद 22 में कुछ दशाओं में गिरफ्तारी और निरोध से संरक्षण का प्रावधान किया गया। है।
* भारतीय संविधान का अनुच्छेद 24, चौदह वर्ष से कम की आयु के बालकों के कारखानों, खनन इत्यादि परिसंकटमय क्षेत्रों में नियोजन को निषिद्ध करता है, जबकि अनुच्छेद 23 मानव के दुर्व्यापार और बलात् श्रम * का प्रतिषेध करता है। भारतीय संसद द्वारा निर्मित सिविल अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1955 के अंतर्गत भारतीय समाज में अस्पृश्यता को दंडनीय अपराध घोषित किया गया है। fundamental rights
* भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 में प्रयुक्त दैहिक स्वतंत्रता शब्दावली में संचरण अर्थात् कहीं भी जाने का अधिकार यानी विदेश भ्रमण भी निहित है। उच्चतम न्यायालय ने जीवनसाथी चुनने के अधिकार को मूल अधिकार मानते हुए इसे अनुच्छेद 21 में निहित माना है। उच्चतम न्यायालय ने उन्निकृष्णन बनाम आंध्र प्रदेश मामले (1993) में संविधान के अनुच्छेद 21 के कार्यक्षेत्र का विस्तार कर, शिक्षा के अधिकार को उसमें शामिल किया था।
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* धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार (अनु. 25) के अंतर्गत, प्रत्येक व्यक्ति को अपने धर्म का प्रचार करने का अधिकार है, जिसमें सिक्खों का कृपाण धारण करने एवं रखने का अधिकार समाहित है। *भारतीय संविधान का अनुच्छेद 26 धार्मिक कार्यों के प्रबंध की स्वतंत्रता से संबंधित है, जबकि अनुच्छेद 29 का संबंध अल्पसंख्यक वर्गों के हितों के संरक्षण से व अनुच्छेद 30 अल्पसंख्यक वर्गों के शिक्षा संस्थाओं की स्थापना एवं प्रशासन करने के अधिकार से संबंधित है। fundamental rights
* भारतीय संविधान के 44वें संशोधन अधिनियम (1978)। संपत्ति के अधिकार को मूल अधिकार की श्रेणी से हटाकर अनुच्छेद के के तहत विधिक अधिकार की श्रेणी में डाल दिया गया।
* मूल अधिकारों के न्यायिक संरक्षण हेतु अनुच्छेद 32 के उच्चतम न्यायालय तथा अनुच्छेद 226 के तहत उच्च न्यायालयों को शक्ति प्रदान की गई है।
साविधान के अनुच्छेद 32 के अंतर्गत संवैधानिक उपचारों का अधिकार उच्च न्यायालय अथवा उच्च न्यायालय मूल अधिकारों के प्रवर्तन हेतु अनुच्छेद 32 एवं अनुच्छेद 226 के तहत कई प्रकार के विशेष जारी करते हैं, जिन्हें प्रादेश या रिट कहते हैं।
क्या होता हैं प्रत्यक्षीकरण?
प्रत्यक्षीकरण इसके द्वारा न्यायालय किसी गिरफ्तार व्यक्ति को न्यायालय के सामने प्रस्तुत करने का आदेश देता है। यदि गिरफ्तारी का तरीका या कारण गैर-कानूनी या असंतोषजनक हो, तो न्यायालय बंदी को छोड़ने का आदेश दे सकता है।
* परमादेश- यह आदेश तब जारी किया जाता है, जब न्यायालय को लगता है कि कोई सार्वजनिक पदाधिकारी अपने कानूनी और संवैधानिक दायित्वों का पालन नहीं कर रहा है और इससे किसी व्यक्ति का मौलिक अधिकार प्रभावित हो रहा है।
* प्रतिषेध-जब कोई निचली अदालत अपने अधिकार क्षेत्र का अतिक्रमण करके किसी मुकदमे की सुनवाई करती है, तो ऊपर की अदालतें (उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय) उसे ऐसे करने से रोकने के लिए ‘प्रतिषेध‘ आदेश जारी करती है।
* अधिकार पृच्छा-जब न्यायालय को लगता है कि कोई व्यक्ति ऐसे पद पर नियुक्त हो गया है, जिस पर उसका कोई कानूनी हक नहीं है। तब न्यायालय अधिकार पृच्छा‘ आदेश के द्वारा उसे उस पद पर कार्य करने से
रोक देता है।
* उत्प्रेषण-जब कोई निचली अदालत या सरकारी अधिकारी बिना अधिकार के कोई कार्य करता है, तो न्यायालय (उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय) उसके समक्ष विचाराधीन मामले को उससे लेकर उत्प्रेषण द्वारा उसे ऊपर की अदालत या अधिकारी को हस्तांतरित कर देता है। * संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत युद्ध या बाह्य आक्रमण के कारण राष्ट्रपति द्वारा आपातकाल की उद्घोषणा किए जाने पर अनुच्छेद 358 के तहत अनुच्छेद 19 में वर्णित मूल अधिकार स्वतः ही निलंबित हो जाते हैं।
* अनुच्छेद 20 एवं 21 को छोड़कर अन्य मूल अधिकारों को निलंबित करने की शक्ति राष्ट्रपति को अनुच्छेद 359 के तहत प्राप्त है।
भारतीय संविधान 44वें संशोधन क्या हैं?
* भारतीय संविधान में 44वें संशोधन के पश्चात अनुच्छेद 20 एवं 21 के अंतर्गत प्राप्त मूल अधिकारों को निलंबित नहीं किया जा सकता है। बच्चन सिंह बनाम पंजाब राज्य के मामले में उच्चतम न्यायालय ने बहुमत के निर्णय से यह अभिनिर्धारित किया है कि मृत्युकारित करने के लिए मृत्युदंड का वैकल्पिक दंड अनुच्छेद 14, 19 और 21 का अतिक्रमण नहीं करता है !
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