राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (National Human Rights Commission)
- National Human Rights Commission मानव व्यक्तित्व के नैसर्गिक विकास, नैतिक एवं आत्मोन्नति में सहायक अधिकार को ही मानवाधिकार की संज्ञा प्रदान की गई है। इस अधिकार का उद्भव राज्य द्वारा नहीं होता है, अपितु वह मात्र इसकी रक्षा करता है।
- 10 दिसम्बर, 1948 को संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा द्वारा मानव अधिकारों की घोषणा की गयी। National Human Rights Commission
- इसके अन्तर्गत सभी मनुष्यों के कतिपय मानवाधिकारों को मान्यता दी गयी; जैसे- जीवन, स्वतन्त्रता तथा सुरक्षा के अधिकार, अकारण गिरफ्तारी पर रोक का प्रावधान, सभी व्यक्तियों को आवास, अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता, सभा करने की स्वतन्त्रता, धार्मिक स्वतन्त्रता, संविधान द्वारा स्वीकृत मूल अधिकारों की रक्षा के लिए प्रभावी वैध उपचारों का अधिकार, सामाजिक सुरक्षा, शिक्षा तथा जीविकोपार्जन के अधिकार । National Human Rights Commission
मानवाधिकारों की रक्षा
- इन मानवाधिकारों की रक्षा के लिए हमारे देश में अक्टूबर, 1993 में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का गठन किया गया। यह एक संविधानोत्तर अथवा विधिक संस्था है। National Human Rights Commission
- इसका गठन संसद में पारित अधिनियम के अन्तर्गत हुआ था, जिसका नाम मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 था। इस अधिनियम में 2006 में संशोधन किया गया है। इस आयोग का प्रधान कार्यालय दिल्ली में है। National Human Rights Commission
- मानवाधिकार आयोग के गठन का उद्देश्य ऐसी संस्थागत व्यवस्थाओं को विकसित करना है, जो सरकार से स्वतन्त्र होकर मानवाधिकारों की रक्षा करे, उसके विषय में जागरूकता फैलाये तथा इससे सम्बन्धित मुद्दों का पूर्ण रूप से समाधान करने का प्रयत्न करें। National Human Rights Commission
मानवाधिकार आयोग एक बहुसदस्यीय निकाय
- मानवाधिकार आयोग एक बहुसदस्यीय निकाय है। इसमें एक अध्यक्ष, चार पूर्णकालिक सदस्य तथा चार अन्य पदेन सदस्य होते हैं। इस प्रकार अध्यक्ष सहित कुल 9 सदस्य होते हैं। National Human Rights Commission
- आयोग का अध्यक्ष सर्वोच्च न्यायालय का सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश होता है।National Human Rights Commission
- सदस्यों में, एक सदस्य सर्वोच्च न्यायालय का कार्यरत सेवानिवृत्त न्यायाधीश, एक उच्च न्यायालय का कार्यरत या सेवानिवृत्त न्यायाधीश होता है जबकि दो अन्य सदस्य ऐसे होते हैं जिनको मानवाधिकार से सम्बन्धित ज्ञान अथवा अनुभव होता है। पदेन सदस्यों में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग, राष्ट्रीय अनुसूचित जाति, ।
- राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति तथा राष्ट्रीय महिला आयोग के अ – को शामिल किया गया है।
- अध्यक्षों या आयोग के अध्यक्ष एवं सदस्यों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा प्रधानमन्त्री के नेतृत्व में गठित छः सदस्यीय समिति की सिफारिश पर होती है। National Human Rights Commission
- इस समिति में प्रधानमन्त्री, गृहमन्त्री, लोकसभाध्यक्ष 7 राज्यसभा का उपसभापति तथा दोनों सदनों के मुख्य विपक्षी द के नेता होते हैं।
आयोग के अध्यक्ष
- आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों का कार्यकाल पाँच वर्ष अथवा 70 वर्ष, जो भी पहले हो जाए, तक होता है। National Human Rights Commission
- आयोग की स्वाय को बनाये रखने के लिए अधिनियम में व्यवस्था की गयी है कि अध्यक्ष या सदस्य सेवानिवृत्ति के पश्चात केन्द्र सरकार या राज्य सरकार के अधीन कोई भी पद धारण करने के योग्य नहीं माने जाएंगे। National Human Rights Commission
- इन्हें अपने पद से केवल राष्ट्रपति द्वारा दुराचरण वा अक्षमता के आधार पर उच्चतम न्यायालय की जाँच रिपोर्ट के बाद ही हटाया जा सकता है
- आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों के वेतन, भत्तों व अन्य सेवा- शर्तों का निर्धारण केन्द्रीय सरकार द्वारा किया जाता है लेकिन नियुक्ति के उपरान्त इसमें कोई अलाभकारी परिवर्तन नहीं किया जा सकता है। National Human Rights Commission
आयोग द्वारा किये जाने वाले मुख्य कार्य निम्नलिखित हैं।
- मानवाधिकारों के उल्लंघन की जाँच करना तथा की गये। शिकायतों की सुनवायी करना । National Human Rights Commission
- किसी लम्बित वाद के मामले में न्यायालय की सहमति से उस वाद का निपटारा करवाना।
- मानसिक अस्पताल या किसी संस्थान में कैदी के रूप में रहने वाले व्यक्ति के जीवन की स्थिति की जाँच की व्यवस्था करना। तथा यथोचित सुधार की सिफारिश करना।National Human Rights Commission
- संविधान तथा अन्य कानूनों के सन्दर्भ में मानवाधिकारों के संरक्षण के प्रावधानों की समीक्षा तथा प्रभावपूर्ण ढंग से लागू करने के लिए सिफारिश करना। ।
- आतंकवाद या अन्य विध्वंसक कार्य के सन्दर्भ में मानवाधिकार सीमित करने के औचित्य की जाँच करना ।
- मानवाधिकार से सम्बन्धित अन्तर्राष्ट्रीय संधियों, सम्बन्धित अभिसमयों एवं दस्तावेजों का अध्ययन करना तथा उनके प्रभाव।
- अनुपालन हेतु सिफारिश करना ।National Human Rights Commission
- भारत में मानवाधिकार को बढ़ावा देने के उद्देश्य से मानवाधिकार के क्षेत्र में शोध करना। National Human Rights Commission
- समाज के विभिन्न वर्गों में मानवाधिकार से सम्बन्धित जागरूकता बढ़ाना। National Human Rights Commission
- गैर सरकारी संगठनों तथा अन्य ऐसे संगठनों को प्रोत्साहित करना जो मानवाधिकार को बढ़ावा तथा संरक्षण देने के क्षेत्र में शामिल हो।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का प्रधान
- राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का प्रधान कार्यालय दिल्ली में स्थित है। National Human Rights Commission
- वह देश में अन्य स्थानों पर भी अपना कार्यालय खोल सकता है। इसकी अपनी कार्यप्रणाली है तथा वह इसे करने के लिए। अधिकृत है
- आयोग के पास सिविल न्यायालय जैसे सभी अधिकार व शक्तियाँ हैं तथा इसका चरित्र भी न्यायिक है।
- आयोग केन्द्र अथवा राज्य सरकार से किसी भी जानकारी अथवा रिपोर्ट की माँग कर सकता है। National Human Rights Commission
आयोग के पास मानवाधिकारों के उल्लंघन
- आयोग के पास मानवाधिकारों के उल्लंघन से सम्बन्धित शिकायतों की जांच हेतु एक स्वयं का जाँच दल है। इसके अतिरिक्त आयोग केन्द्र या राज्य सरकारों के किसी भी अधिकारी या जाँच एजेंसी की सेवाएँ ले सकता है। National Human Rights Commission
- आयोग व गैर सरकारी संगठनों के बीच एक प्रभावकारी सहभागिता भी है जो मानवाधिकार उल्लंघन सम्बन्धी सूचना प्राप्ति में सहायक होते हैं।
- किसी घटना के एक वर्ष से अधिक हो जाने आयोग जाँच के लिए अधिकृत नहीं है। आयोग मानवाधिकार के उल्लंघन की जाँच के उपरान्त पीड़ित व्यक्ति
मानव अधिकार संरक्षण (संशोधन) अधिनियम, 2019
- मानव अधिकार संरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2019 को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की स्वीकृति 27 जुलाई, 2019 को प्राप्त हुई। प्रस्तुत विधेयक ‘मानव संरक्षण अधिनियम, 1993 में संशोधन प्रस्तावित करता है। इस विधेयक में अधोलिखित उपबंध को शामिल करता है > National Human Rights Commission
- भारत के मुख्य न्यायमूर्ति के अतिरिक्त किसी ऐसे व्यक्ति जो उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश रहा है को भी राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के |
- National Human Rights Commission अध्यक्ष के रुप में नियुक्त किये जाने हेतु पात्र बनाया गया है।
- उपरोक्त विधेयक द्वारा आयोग के अध्यक्ष और राज्य आयोगों के अध्यक्षों व सदस्यों की पदावधि को पाँच वर्ष से कम करके 3 वर्ष किये जाने एवं उन्हें पनर्नियुक्ति हेतु पात्र किये जाने का प्रावधान किया गया है;National Human Rights Commission
- आयोग के सदस्यों की संख्या को दो से बढ़ाकर तीन किया गया है, जिसमें एक सदस्य महिला होगी;
- विधेयक के अन्तर्गत राष्ट्रीय पिक्षणा वर्ग आयोग के अध्यक्ष, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष और दिव्यांगजनों सम्बन्धी | मुख्य आयुक्त को आयोग के सदस्यों के रुप में सम्मिलित किया जायेगा; National Human Rights Commission
उपरोक्त विधेयक के तहत किसी राज्य के मुख्य न्यायाधीश अथवा किसी ऐसे व्यक्ति, जो उच्च न्यायालय का न्यायाधीश रहा है, को राज्य मानवाधिकार आयोग 2 के अध्यक्ष के रुप में नियुक्त किये जाने हेतु पात्र बनाया गया है।
- को क्षतिपूर्ति के लिए सम्बन्धित सरकार या प्राधिकरण को सिफारिश कर सकता है, दोषी लोक सेवक के विरुद्ध बंदीकरण हेतु कार्यवाही प्रारम्भ करने के लिए सम्बन्धित सरकार या प्राधिकरण से सिफारिश कर सकता है, National Human Rights Commission
- आयोग इस सम्बन्ध में आवश्यक निर्देश, आदेश अथवा रिट के लिए उच्चतम अथवा उच्च न्यायालय में जा सकता है।
आयोग का कार्य सिफारिश अथवा सलाहकार
- इस प्रकार स्पष्ट है कि आयोग का कार्य सिफारिश अथवा सलाहकार का है। इसे मानवाधिकार उल्लंघन के दोषी को दण्ड देने का अधिकार नहीं है और न ही पीड़ित को सहायता आदि देने के लिए आर्थिक संसाधन एवं शक्ति है। National Human Rights Commission
- आयोग की सिफारिशें सरकार, प्राधिकरण या अधिकारी पर बाध्यकारी नहीं हैं।
- लेकिन उसकी सिफारिशों पर की गयी कार्यवाही की सूचना इन्हें एक महीने के अंदर देना अनिवार्य होता है। परन्तु यह कहना कि आयोग शक्तिहीन है व्यर्थ की बात होगी।
- क्योंकि आयोग द्वारा की गयी सिफारिशों को सरकार या प्राधिकरण पूर्णतः नहीं नकारता है। National Human Rights Commission
- आयोग अपने अधिकारों का पूर्ण रूप से प्रयोग करता है। सशस्त्र बलों द्वारा किये गये मानवाधिकार उल्लंघन के मामलों में आयोग की भूमिका, शक्तियाँ व न्यायिकता सीमित होती है।
- इस मामले में आयोग केन्द्र सरकार से रिपोर्ट लेकर अपनी सलाह दे सकता है।National Human Rights Commission
- आयोग की सिफारिश पर की गयी कार्यवाही के बारे में केन्द्र सरकार को तीन महीने के भीतर जवाब देना होता है।
- आयोग अपनी वार्षिक या विशेष रिपोर्ट केन्द्र सरकार तथा राज्य सरकारों को भेजता है। National Human Rights Commission
- इन रिपोर्टस को सम्बन्धित विधायिका के समक्ष रखा जाता है। इसमें रिपोर्ट के साथ वह विवरण भी होता है जिसमें आयोग की सिफारिशों पर की गयी कार्यवाही तथा सिफारिशों को न मानने के कारणों का उल्लेख रहता है। National Human Rights Commission
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