State

राज्य क्या है ? what is State – 

  1. State राज्य, राज्य के तत्त्व तथा राजनीतिक व्यवस्था की आवश्यकता (State, Elements of State and the Need of Political System)भारतीय राजव्यवस्था को समझने से पहले जरूरी है कि राजव्यवस्था (Polity) की कुछ मूलभूत अवधारणाओं तथा पारिभाषिक शब्दावली (Terminology) से आप परिचित हों। State
  2. ऐसी कुछ महत्त्वपूर्ण अवधारणाएँ तथा उनकी व्याख्या इस अध्याय में आगे दी गई हैं। State

राज्य क्या है? (What is State?)

  1. राजव्यवस्था से जुड़ी सबसे प्राथमिक अवधारणा ‘राज्य’ (State) है। State
  2. राज्य शब्द का प्रयोग यूँ तो विभिन्न प्रांतों (Provinces), जैसे उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु आदि को सूचित करने के लिये भी होता है, किंतु इसका वास्तविक अर्थ किसी प्रांत से न होकर किसी समाज की राजनीतिक संरचना (Political Structure) से होता है। वस्तुतः यह एक अमूर्त (Abstract) अवधारणा है अर्थात् इसे बौद्धिक स्तर पर समझा तो जा सकता है, किंतु देखा नहीं जा सकता। State
  3. उदाहरण के लिये, भारत की सरकार, न्यायपालिका, राज्यों की सरकारें, नौकरशाही से जुड़े सभी अधिकारी इत्यादि की समग्र संरचना ही राज्य कहलाती है। किसी के विकसित व सक्षम होने की पहचान इस बात से भी होती है कि वह एक स्वतंत्र राज्य के रूप में विकसित हो सका है या नहीं? विश्व के अधिकांश विकसित देशों में एक स्थिर राजनीतिक प्रणाली का दिखाई देना (जैसे- संयुक्त राज्य अमेरिका, इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया में) और स्थिर राजनीतिक प्रणाली से वंचित देशों (जैसे कुछ समय पहले के अफगानिस्तान) में विकास प्रक्रिया का अवरुद्ध हो जाना इसी बात का प्रमाण है। State

राज्य के तत्त्व (Elements of State)

किसी भी राज्य के होने की शर्त है कि उसमें निम्नलिखित चार तत्त्व विद्यमान हों- राज्य के तत्त्व (Elements of State)

1- भू-भाग (Geographical Area)    ,2-   जनसंख्या (Population) , 3- सरकार- (Government) ,4- संप्रभुता (Sovereignty)

भू-भाग (Geographical Area): एक ऐसा निश्चित भौगोलिक प्रदेश होना चाहिये, जिस पर उस ‘राज्य’ की सरकार अपनी राजनीतिक क्रियाएँ करती हो। उदाहरण के लिये, भारत का संपूर्ण क्षेत्रफल भारत राज्य का भौगोलिक आधार या भू-भाग है। State

  1. जनसंख्या ( Population): राज्य होने की शर्त है कि उसके भू-भाग पर निवास करने वाला एक ऐसा जनसमुदाय होना चाहिये जो राजनीतिक व्यवस्था के अनुसार संचालित होता हो। यदि जनसंख्या ही नहीं होगी तो राज्य का अस्तित्व निरर्थक हो जाएगा। State
  1. सरकार (Government) : सरकार एक या एक से अधिक व्यक्तियों का वह समूह है, जो व्यावहारिक स्तर पर राजनीतिक शक्ति का प्रयोग करता है। ‘राज्य’ (State) और ‘सरकार’ (Government) में यही अंतर है कि राज्य एक अमूर्त संरचना (Abstract Structure) है ।
  2. जबकि सरकार उसकी मूर्त (Concrete) व व्यावहारिक अभिव्यक्ति । State
  3.  संप्रभुता या प्रभुसत्ता (Sovereignty ) : यह राज्य का अत्यंत महत्त्वपूर्ण तत्त्व है। इसका अर्थ है कि राज्य के पास अर्थात् उसकी. सरकार के पास अपने भू-भाग और जनसंख्या की सीमाओं के भीतर कोई भी निर्णय करने की पूरी शक्ति होनी चाहिये तथा उसे किसी भी बाहरी और भीतरी दबाव में निर्णय करने के लिये बाध्य नहीं होना चाहिये। State

राज्य के ये चारों तत्त्व अनिवार्य हैं

  • राज्य के ये चारों तत्त्व अनिवार्य हैं, वैकल्पिक नहीं। यदि इनमें से एक भी अनुपस्थित हो तो राज्य की अवधारणा निरर्थक हो जाती है।
  • इसे कुछ उदाहरणों की सहायता से ज्यादा बेहतर तरीके से समझा जा सकता है- State
  1. कभी-कभी ऐसा होता है कि सरकार भी होती है और जनता भी, किंतु भू-भाग नहीं होता। उदाहरण के लिये, तिब्बत की सरकार का संकट यही है। चीनी आक्रमण के कारण जब ‘दलाई लामा’ को भारत की शरण लेनी पड़ी और वे हिमाचल प्रदेश के ‘धर्मशाला’ नामक स्थान से तिब्बत की निर्वासित सरकार का संचालन करने लगे तो एक विचित्र सी स्थिति उत्पन्न हो गई, क्योंकि तिब्बत की सरकार और कुछ जनता तो यहाँ थी, किंतु उनके पास न तो अपना भू-भाग था और न ही अपने मूल भू-भाग के संबंध में स्वतंत्र निर्णय करने की ताकत या प्रभुसत्ता State 
  2. • कभी-कभी ऐसा भी हो सकता है कि सरकार भी हो, जनता भी हो, भू-भाग भी हो किंतु संप्रभुता की कमी के कारण राज्य की धारणा पूरी न हो सके। उदाहरण के लिये, पराधीन भारत में जब वायसराय भारतीय भू-भाग का सर्वोच्च प्रशासक होता था, तो एक निश्चित भू-भाग के भीतर जनता उसकी आज्ञा का पालन करती थी, किंतु तब भी वह संप्रभु नहीं था क्योंकि वह ब्रिटेन की सरकार के आदेशों के तहत कार्य करता था।State
  3. जब किसी देश में अराजक स्थिति पैदा हो जाती है तो भी राज्य का ढाँचा चरमराने लगता है। उदाहरण के लिये, अफगानिस्तान में लंबे समय तक कई गुटों में झगड़ा चलता रहा और अलग-अलग गुट देश के अलग-अलग हिस्से पर कब्ज़ा जमाने में सफल होते रहे। ऐसी स्थिति में सरकार की शक्तियाँ व्यावहारिक स्तर पर शून्य हो जाती हैं, इसलिये उसकी संप्रभुता पर प्रश्नचिह्न लग जाता है।  State

उरोक्क को शार्ट मे सारणी मे दर्शाया गया है 

राज्य क्या है 

राज्य के तत्त्व (Elements of State)

राज्य के ये चारों तत्त्व अनिवार्य हैं

किसी भी राज्य के होने की शर्त है कि उसमें निम्नलिखित चार तत्त्व विद्यमान हों- राज्य के तत्त्व (Elements of State)

What is State?)

State राज्य, राज्य के तत्त्व तथा राजनीतिक व्यवस्था की आवश्यकता (State, Elements of State and the Need of Political System)भारतीय राजव्यवस्था को समझने से पहले जरूरी है कि राजव्यवस्था किसी भी राज्य के होने की शर्त है कि उसमें निम्नलिखित चार तत्त्व विद्यमान हों- राज्य के तत्त्व (Elements of State)State राज्य के ये चारों तत्त्व अनिवार्य हैं, वैकल्पिक नहीं। यदि इनमें से एक भी अनुपस्थित हो तो राज्य की अवधारणा निरर्थक हो जाती है। इसे कुछ उदाहरणों की सहायता से ज्यादा बेहतर तरीके से समझा जा सकता है- State – भू-भाग (Geographical Area)    ,2-   जनसंख्या (Population) , 3- सरकार- (Government) ,4- संप्रभुता (Sovereignty)State  राजव्यवस्था से जुड़ी सबसे प्राथमिक अवधारणा ‘राज्य’ (State) है। State

 

 

 

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