suicide prevention

आत्महत्या रोकथाम नीति की आवश्यकता

suicide prevention हाल ही में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने देश में अपनी तरह की पहली राष्ट्रीय आत्महत्या रोकथाम रणनीति की घोषणा की। – suicide prevention

आत्महत्या क्या होती है –

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  1. आत्महत्या स्वविवेक से अपनी मृत्यु का कारण बनने का कार्य
  2. पूरी तरह से रोके जाने योग्य होने के बावजूद, भारत लोगों को आत्महत्या
    से रोकने में विफल साबित हो रहा है,
  3. इसका सबसे बड़ा कारण पारिवारिक समस्या और रोग हैं। अन्य कारणों में वैवाहिक कलह, प्रेम संबंध, दिवालियापन, माद्रक द्रवों का सेवन और उस पर निर्भरता शामिल हैं।
  4. लगभग 10 फीसदी मामलों में आत्महत्या के कारणों का पता नहीं चलता। महत्त्वपूर्ण बात यह है कि लोगों की मान्यताओं के अधिकतर आत्महत्याओं को रोका जा सकता है।

 

  1. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार विश्व में 15-29 आयुवर्ग के लोगों के बीच आत्महत्या, मृत्यु का दूसरा सबसे बड़ा कारण है और 15-19 साल की लड़कियों के बीच भी यह मौत का दूसरा बड़ा कारण है।
  2. भारत में प्रत्येक वर्ष एक लाख से ज्यादा लोग आत्महत्या करते हैं। बीते तीन वर्षों में, प्रति एक लाख आबादी में आत्महत्या की दर 10.2 फीसदी से बढ़कर 11.3 फीसदी हो गई है।
  3. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आँकड़ों के अनुसार महाराष्ट्र, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल और कर्नाटक में आत्महत्या का प्रतिशत (2018-2020) सबसे अधिक है। इन राज्यों में यह दर 8 फीसदी से 11 फीसदी के बीच है। suicide prevention

 

  1. ■ NCRB (30 अगस्त, 2022 को जारी) के अनुसार, देश में आत्महत्या के कारण लगभग 1,64,033 मौतें हुईं।
  2. *नीति में वर्ष 2030 तक आत्महत्या से होने वाली मौत को 10 फासदा
    कम करने की दिशा में कदम उठाने की बात की गई है।
  3. रणनीति में आत्महत्याओं के लिये उत्तरदायी मीडिया रिपोटिंग के लिये दिशानिर्देश विकसित करना और आत्महत्या के साधनों तक पहुँच को प्रतिबंधित करने की भी परिकल्पना की गई है।

  4. इसके अलावा रणनीति में साक्ष्य-आधारित तरीकों को अपनाने की बात कही गई है. ताकि आत्महत्याओं की तादाद को कम किया जा सके।
  5. यह विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की दक्षिण-पूर्व एशियाई प्रांत से जुड़ी रणनीति से प्रेरित है। इसके अलावा, एक समावेशी रणनीति बनाने और आत्महत्याओं की संख्या में इच्छित कमी लाने के लिये कई क्षेत्रों के साथ गठजोड़ बनाया गया है।
  6. अगले तीन साल के भीतर प्रभावी निगरानी तंत्र बनाने और पाँच साल में सभी जिलों में मनोरोग आउट पेशेंट विभाग स्थापित करने के अलावा, इस रणनीति में अगले आठ वर्षों के भीतर शैक्षिक संस्थानों के पाठ्यक्रम में मानसिक स्वास्थ्य
    को शामिल करने की भी बात कही गई है। suicide prevention 

आत्महत्या संबन्धी मुद्दे

  1. युवा संबंधी: चूँकि युवा देश का भविष्य है और आँकड़ों के अनुसार सभी आत्महत्याओं में एक-तिहाई आत्महत्याएँ 15-29 वर्ष के आयु के युवा कर रहे हैं।
  2. प्रदर्शन का दबाव आँकड़ों के अनुसार प्रत्येक 55 मिनट में एक छात्र की आत्महत्या से मृत्यु हो जाती है और वर्ष 2020 में 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में 1,129 आत्महत्याएँ परीक्षाओं में असफल होने के कारण हुई।
  3. कृषि संकटः इसके अलावा अन्य मुद्दे किसानों की आत्महत्या भी है।suicide prevention 
  4. लैंगिक भिन्नताएँ: आँकड़ों के अनुसार वर्तमान में महिलाएँ अधिक आत्महत्या कर रही हैं।

आत्महत्या मे प्रौदोगिकी की भूमिका-

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  1. वर्तमान में बढ़ती डिजिटल तकनीक आत्महत्या का प्रमुख कारण बनता जा रहा है। प्रौद्योगिकी को अवसाद और मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों के बढ़ने के लिये दोषी ठहराया जाता है।
  2. उदाहरण के लिये ऑनलाइन सामग्री का अत्यधिक अवलोकन सत्यापन के लिये आभासी मित्रों/समुदायों अनुयायियों पर अत्यधिक निर्भरता, सोशल मीडिया के कारण आत्मसम्मान की हानि साइबर बुलिंग (किसी को अश्लील या धमकाने वाले संदेश भेजना या किसी भी रूप में परेशान करना) आदि कारक हैं। suicide prevention 

 

  1. मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों में प्रौद्योगिकी की भूमिका को पूरी तरह से नकारा नहीं जा सकता है। लेकिन, यह महसूस किया जाना चाहिये कि प्रौद्योगिकी न तो इस मुद्दे के मूल में है और न ही इसका वांछित समाधान है।
  2. संयुक्त राज्य अमेरिका में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ द्वारा वित्तपोषित एक अध्ययन के अनुसार, साइबर बुलिंग से पीड़ित लोगों के आत्महत्या करने की संभावना उन लोगों की तुलना में चार गुना अधिक थी, जो इसका शिकार नहीं हुए थे।

                                                        राज्यो के प्रयास

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  1. आत्महत्या की रिपोर्टों के परिणामस्वरूप, तमिलनाडु सरकार ने पैसे से जुड़े ऑनलाइन गेम पर प्रतिबंध लगाने के लिये एक अध्यादेश जारी किया था।
  2. तमिलनाडु में आत्महत्या के कारण होने वाली मौतों पर NCRB के आँकड़ों के विश्लेषण के अनुसार, राज्य सरकार द्वारा की गई नीतिगत प्रतिक्रिया में इस मुद्दे पर पूरी तरह से ध्यान नहीं दिया गया है। मध्य प्रदेश देश की पहली सुसाइड प्रिवेंशन पॉलिसी (आत्महत्या रोकथाम नीति) लाने जा रहा है। suicide prevention 

                                        आन्य प्रयास

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  1. फरवरी 2022 में केंद्र सरकार द्वारा राष्ट्रीय टेली-मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य देश के दूर-दराज़ एवं कम सेवा वाले क्षेत्रों में मुफ्त और चौबीसों घंटे मानसिक स्वास्थ्य सुविधाएँ प्रदान करना है।
  2. प्रत्येक वर्ष 10 सितंबर को विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस (World Suicide Prevention Day) मनाया जाता है। इसका उद्देश्य लोगों में मानसिक स्वास्थ के प्रति जागरूकता फैलाना और आत्महत्या के बढ़ते मामलों को रोकना है।

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  1. राज्य सरकार को समस्या के मूल कारणों को दूर करना चाहिये और एक समग्र नीति प्रतिक्रिया तैयार करनी चाहिये।इसके अलावा, टॉप-डाउन नीति निर्माण और कुछ हाई-प्रोफाइल मामलों पर ध्यान केंद्रित करने की बजाय, एक समावेशी समुदाय आधारित मानसिक स्वास्थ्य और आत्महत्या रोकथाम दृष्टिकोण अपनाया जाना चाहिये।
  2. राज्य इस मुद्दे को हल करने के लिये सेवा प्रदाताओं से तकनीकी समाधान पर भी विचार कर सकता है।
  3. आत्महत्या मृत्यु दर और इसके बढ़ने के कारणों में राष्ट्रीय और क्षेत्रीय अनुसंधान को बढ़ावा देना और समस्या को कम करने में मदद करने के लिये सांस्कृतिक और आर्थिक रूप से उपयुक्त सुझाव देना महत्त्वपूर्ण है।
  4. संकट के समय में, मीडिया को स्वास्थ्य संबंधी व्यवहार, सही जानकारी को बढ़ावा देना चाहिये और आत्महत्या से संबंधित संभावित मिथकों का मुकाबला करना चाहिये । suicide prevention

                                                        परिणाम

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हालाँकि, अब यह सरकार का उत्तरदायित्व है कि लक्ष्य हासिल होने तक वह इस पर टिकी रहे। निश्चित तौर पर, संघीय ढाँचे वाले किसी देश में किसी भी कदम को तब तक कामयाबी नहीं मिलती जब तक कि राज्य सरकारें उस पहल में उतने ही उत्साह से शरीक न हों।

                  नीचे दिए गये सारणी मे कुछ उपरोक्त बिन्दु को शार्ट मे दर्शाया गया है

आत्महत्या रोकथाम नीति की आवश्यकता
चर्चा में


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आत्महत्या क्या होती है?



नीति की आवश्यकता क्यों?


आत्महत्या संबंधी मुद्दे आत्महत्या में प्रौद्योगिकी की भूमिका
राज्यों के प्रयास


पूरी तरह से रोके जाने योग्य होने के बावजूद, भारत लोगों को आत्महत्या
से रोकने में विफल साबित हो रहा है,
इसका सबसे बड़ा कारण पारिवारिक समस्या और रोग हैं। अन्य कारणों में वैवाहिक कलह, प्रेम संबंध, दिवालियापन, माद्रक द्रवों का सेवन और उस पर निर्भरता शामिल हैं।


हाल ही में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने देश में अपनी तरह की पहली राष्ट्रीय आत्महत्या रोकथाम रणनीति की घोषणा की आत्महत्या स्वविवेक से अपनी मृत्यु का कारण बनने का कार्य विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार विश्व में 15-29 आयुवर्ग के लोगों के बीच आत्महत्या, मृत्यु का दूसरा सबसे बड़ा कारण

NCRB (30 अगस्त, 2022 को जारी) के अनुसार, देश में आत्महत्या के कारण लगभग 1,64,033 मौतें हुईं।

युवा संबंधी: चूँकि युवा देश का भविष्य है और आँकड़ों के अनुसार सभी आत्महत्याओं में एक-तिहाई आत्महत्याएँ 15-29 वर्ष के आयु के युवा कर रहे हैं।
वर्तमान में बढ़ती डिजिटल तकनीक आत्महत्या का प्रमुख कारण बनता जा रहा है। प्रौद्योगिकी को अवसाद और मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों के बढ़ने के लिये दोषी ठहराया जाता है।
आत्महत्या की रिपोर्टों के परिणामस्वरूप, तमिलनाडु सरकार ने पैसे से जुड़े ऑनलाइन गेम पर प्रतिबंध लगाने के लिये एक अध्यादेश जारी किया था।


suicide prevention पूरी तरह से रोके जाने योग्य होने के बावजूद, भारत लोगों को आत्महत्या
से रोकने में विफल साबित
  तमिलनाडु में आत्महत्या के कारण होने वाली मौतों पर NCRB के आँकड़ों के विश्लेषण के अनुसार

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