• अभी की ख़बर है कि सर्वोच्च न्यायालय ने आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग (EWS) को दिए जाने वाले आरक्षण की वैधता पर मुहर लगा दी है।
■ यह फैसला चीफ जस्टिस यू. यू. ललित के नेतृत्व में 5 जजों की संवैधानिक पीठ ने सुनाया
‘ हालाँकि, इस मुद्दे पर जजों के बीच भी मतभिन्नता देखने को मिली और यह फ़ैसला 3:2 के बहुमत से सुनाया गया
■ इस फ़ैसले के बाद संविधान के 103वें संशोधन की वैधता पर मुहर लग गई है।
• EWS आरक्षण और 103वाँ संविधान संशोधन
• साल 2019 में 103वें संविधान संशोधन के माध्यम से भारतीय संविधान के अनुच्छेद 15 और अनुच्छेद 16 में संशोधन किया गया
• संशोधन के माध्यम से भारतीय संविधान में अनुच्छेद 15 (6) और अनुच्छेद 16 (6) सम्मिलित किया, जिसके माध्यम से आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग लोगों (EWS) के लिए आरक्षण की व्यवस्था की गई !
• संविधान का अनुच्छेद 15 (6) राज्य को अनुसूचित जाति एवं जनजाति तथा अन्य पिछड़ा वर्ग में आरक्षण पाने वाले लोगों से इतर देश के सभी आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग के लोगों के लिये विशेष प्रावधान बनाने का अधिकार देता है
• साथ ही यह अनुच्छेद शिक्षण संस्थानों में आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के प्रवेश हेतु भी विशेष प्रावधान बनाने का अधिकार देता है
• हालाँकि, इसके तहत संविधान के अनुच्छेद- 30 में संदर्भित अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों में आरक्षण का दावा नहीं किया जा सकता !
• संविधान का अनुच्छेद 16 (6) राज्य को यह अधिकार देता है कि वह अनुसूचित जातियों एवं जनजातियों के अतिरिक्त देश के सभी आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग के लोगों (EWS) के लिए आरक्षण का कोई प्रावधान करे
यहाँ आरक्षण की यह सीमा अधिकतम 10% है, जो कि मौजूदा आरक्षण के अतिरिक्त है !