सामान्य परिचय (General Introduction)
पृथ्वी जिस पर हम रहते हैं, सौरमंडल का एक भाग है और सौरमंडल आकाशगंगा का एक भाग है, तथा
लाखों आकाशगंगाओं का समूह ;ब्रह्मांड; कहलाता है। अर्थात्- “सूक्ष्म अणुओं से लेकर विशालकाय
आकाशगंगाओं तक के सम्मिलित रूप कोब्रह्मांडकहते हैं।
● सौरमंडल संपूर्ण ब्रह्मांड का एक हिस्सा है। इसकी रचना निहारिका नामक एक विशाल गैसीय पिंड से हुई है।
सौरमंडल का लगभग 99 प्रतिशत से भी अधिक द्रव्यमान सूर्य में निहित है, जबकि सारे ग्रह मिलकर शेष द्रव्यमान से
बने हुए हैं।
universe
आवधारणाएं
• टॉलेमी की ;जियोसेंट्रिक अवधारणाके अनुसार, “पृथ्वी ब्रह्मांड के केंद्र में है तथा सूर्य एवं अन्य ग्रह
इसकी परिक्रमा करते हैं।कॉपरनिकस; ने टॉलेमी की अवधारणा का खंडन किया एवं
;हेलियोसेंट्रिक अवधारणा का प्रतिपादन किया, जिसके अनुसार, “ब्रह्मांड के केंद्र में सूर्य है तथा पृथ्वी एवं
अन्य ग्रह इसकी परिक्रमा करते हैं। फलतः कॉपरनिकस को आधुनिक खगोलशास्त्र का जनक' कहा
गया। • 16वीं शताब्दी के आस-पास कैपलर ने ग्रहीय गतियों के नियमों की
खोज की तथा इसने सूर्य को ग्रहीय कक्षा का केंद्र माना।
● ;हर्शेल ने 1805 में बताया कि पृथ्वी, सूर्य एवं अन्य ग्रह
आकाशगंगा का एक अंश मात्र है।
• 1920 में एडविन हब्बल ने प्रमाण दिया कि ब्रह्मांड का विस्तार अभी भी जारी है, जिसको उन्होंने
आकाशगंगाओं के बीच बढ़ रही दूरी के आधार पर सिद्ध किया।
ब्रह्मांड की उत्पत्ति (The Origin of the Universe)
• ब्रह्मांड की उत्पत्ति के विषय में चार सिद्धांत प्रमुख हैं जिसमें ;बिग बैंग सिद्धांत सर्वाधिक प्रचलित एवं
मान्य है। इसे विस्तारित ब्रह्मांड परिकल्पना भी कहा जाता है। –
• इस सिद्धांत का प्रतिपादन जॉर्ज लेमैत्रे (Georges Lemaitre) ने किया एवं बाद में रॉबर्ट वेगनर ने
1967 में इस सिद्धांत की व्याख्या – प्रस्तुत की। –^
• विस्तारित ब्रह्मांड की परिकल्पना (बिग बैंग सिद्धांत) की पुष्टि डॉप्लर प्रभाव; से भी की जा चुकी है।
• इस सिद्धांत के अनुसार, ब्रह्मांड लगभग 13.7 अरब वर्ष पूर्व भारी पदार्थों से निर्मित एक गोलाकार
सूक्ष्म पिंड था, जिसका आयतन अत्यधिक सूक्ष्म और ताप व घनत्व अनंत था, बिग बैंग की प्रक्रिया में
इसके अंदर महाविस्फोट हुआ, और ब्रह्मांड की उत्पत्ति हुई।
• विस्फोट के फलस्वरूप अनेक पिंड अंतरिक्ष में बिखर गए जो आज भी गतिशील अवस्था में हैं। इसके
साथ ही, समय, स्थान एवं वस्तु की व्युत्पत्ति हुई।
• कुछ अरब वर्ष बाद हाइड्रोजन एवं हीलियम के बादल संकुचित
होकर तारों एवं आकाशगंगाओं का निर्माण करने लगे।
● बिग बैंग घटना के पश्चात् आज से लगभग 4.5 अरब वर्ष पूर्व
सौरमंडल का विकास हुआ, जिससे ग्रहों तथा उपग्रहों का निर्माण हुआ।
होयलने इस परिकल्पना के विपरीत ;स्थिर अवस्था संकल्पनाSteady State Theory) के नाम से
नवीन परिकल्पना प्रस्तुत की। इसके अनुसार ब्रह्मांड का विस्तार लगातार हो रहा है लेकिन इसका स्वरूप
किसी भी समय एक ही जैसा रहा है। लेकिन वर्तमान में ;बिग बैंग सिद्धांत को ही सर्वाधिक मान्यता
प्राप्त है।
आकाशगंगा एवं निहारिका (Galaxy and Nebula)
• आकाशगंगा के निर्माण की शुरुआत हाइड्रोजन गैस से बने विशाल बादलों के संचयन से होती है। इसे
;निहारिका कहा जाता है।
• इस बढ़ती हुई निहारिका में गैस के झुंड विकसित हुए, झुंड बढ़ते-बढ़ते
घने गैसीय पिंड बने जिनसे तारों का निर्माण हुआ।
• गुरुत्वाकर्षण बल के अधीन बंधे तारों, धूलकणों एवं गैसों के तंत्र को ही ;आकाशगंगा की संज्ञा दी
जाती है।
आकाशगंगा
• आकाशगंगा से विभिन्न प्रकार के विकिरण निकलते रहते हैं, इनमें अवरक्त किरणें, गामा किरणें, रेडियो
तरंगें, X-किरणें, दृश्य प्रकाश एवं पराबैंगनी तरंगें आदि शामिल हैं।
• हमारा सौरमंडल जिस आकाशगंगा में स्थित है उसे ;मंदाकिनी कहते हैं। यह सर्पिलाकार है, एवं कई
आकाशगंगाओं के वृहद् समूह का एक सदस्य है, जिसे स्थानीय समूह कहते हैं। • इसमें तीन घूर्णनशील
भुजायें एवं एक केंद्र है। केंद्र को ;बल्ज कहा जाता है, जिसमें एक ;ब्लैक होल ; पाया जाता है। गुरुत्वाकर्षण
के कारण यहाँ तारों का सर्वाधिक संकेंद्रण होता है।
• मंदाकिनी की तीसरी भुजा में नए तारों का जन्म होता है जबकि
हमारा सौरमंडल मध्यवर्ती पूर्णनशील भुजा में स्थित है।
• मंदाकिनी का वह भाग जो पृथ्वी से प्रकाश सरिता के समान दिखाई देती है. ;स्वर्ग की गंगा ; या ;मिल्की वे
कहलाती है। यह हमारी आकाशगंगा का ही एक भाग है।
• मंदाकिनी के सर्वाधिक पास स्थित आकाशगंगा एण्ड्रोमिडा है जो
सौरमंडल से लगभग 22 लाख प्रकाश वर्ष दूर है। ओरियन नेबुला हमारी आकाशगंगा ;मंदाकिनी का
सबसे शीतल तथा चमकीले तारों का क्षेत्र है।
• आकाशगंगाओं के ;प्रतिसरण नियम के प्रतिपादक ;एडविन हब्बल थे। • मंदाकिनी को ;गैलीलियो ने
सबसे पहले देखा था।
तारे का जन्म तथा विकास (Origin and Evolution of Star) • तारों का जीवनकाल अत्यधिक लंबा होता
है एवं विभिन्न अवस्थाओं
से होकर गुजरता है।
तारे के जीवन चक्र की अवस्थाएँ निम्न हैं- universe
• ब्रह्मांड में उपस्थित गैसों एवं धूल के कणों/ बादलों का गुरुत्वाकर्षण के कारण आकाशगंगा के केंद्र में
नाभिकीय संलयन शुरू हो जाता है एवं हाइड्रोजन, हीलियम में बदलने के कारण नवीन तारों का निर्माण
होता है। इन्हीं बादलों को ;स्टेलर नर्सरी ; कहा जाता है।
• आकाशगंगा में हाइड्रोजन का बादल बड़ा होता है तो गुरुत्वाकर्षण
के प्रभाव से गैसीय पिंड सिकुड़ने लगता है जो तारे के जन्म का
प्रारंभिक स्वरूप होता है। यह आदि तारा ; (Protostar) कहलाता है। • आदि तारा के सिकुड़ने पर गैस के
बादलों में परमाणुओं की टक्करों की संख्या बढ़ने से हाइड्रोजन के हीलियम में बदलने की प्रक्रिया प्रारंभ
हो जाती है। इस अवस्था में आदि तारा पूर्ण तारा ; बन जाता है।
• तारा प्रकाशवान एवं प्रकाश उत्पन्न करने वाला खगोलीय पिंड होता है, जो अपने द्रव्यमान के अनुरूप
छोटा या बड़ा हो सकता है। • तारे के केंद्र में चलने वाली निरंतर नाभिकीय संलयन अभिक्रिया के
फलस्वरूप कुछ समय पश्चात् उसके क्रोड में हीलियम की प्रधानता हो जाती है तथा नाभिकीय संलयन
की अभिक्रिया रुक जाती है। इससे क्रोड में दबाव कम हो जाता है तथा तारा सिकुड़ने लगता है।
तारों का रंग, तापमान एवं उम्र
■ तारों के रंग से उसके तापमान को ज्ञात किया जाता है।
■ तारों द्वारा मुक्त ऊष्मा के आधार पर उनकी उम्र ज्ञात की जा सकती है, जैसे-
• नीला व सफेद – युवा (आद्य तारा )
• नारंगी – प्रौढ़
• लाल – वृद्ध
■ अंततः विस्फोट के बाद तारे की मृत्यु विवर ; (Black Hole) बन जाता है। हो जाती है या वह कृष्ण विवर Bkack
hole बन जाता है!
• पुनः तारे की बाह्य कवच के हाइड्रोजन का हीलियम में परिवर्तन होने से ऊर्जा विकिरण की तीव्रता घट
जाती है एवं इसका रंग बदलकर लाल हो जाता है। इस अवस्था के तारे को ;लाल दानव ;तारा ; (Red
Giant Star) कहा जाता है।
• इस प्रक्रिया में अंततः हीलियम कार्बन में व कार्बन भारी पदार्थ, जैसे- लोहा में परिवर्तित होने लगता है।
• यदि किसी तारे का द्रव्यमान सूर्य के द्रव्यमान से कम अथवा बराबर (चंद्रशेखर सीमा) है तो वह लाल
दानव से श्वेत वामन (White Dwarf) और अंतत: ;काला वामन ; (Black Dwarf) में परिवर्तित हो जाता
है।
यदि तारे का द्रव्यमान सूर्य के द्रव्यमान से अधिक या कई गुना अधिक है तो तारे की मध्यवर्ती परत
गुरुत्वाकर्षण के कारण तारे के केंद्र में ध्वस्त हो जाती है। इससे निकली ऊर्जा तारे के ऊपरी परत को नष्ट
कर देती है और भयानक विस्फोट होता है जिसे ;सुपरनोवा विस्फोट (Supernova Explosion) कहते हैं। •
सुपरनोवा विस्फोट के बाद वह तारा ;न्यूट्रॉन तारा तथा इसके पश्चात् ;ब्लैक होल ; में बदल जाता है।
चंद्रशेखर सीमा (Chandrasekhar Limit)
■ एस. चंद्रशेखर भारतीय मूल के अमेरिकी खगोल भौतिकविद् थे। जिन्होंने श्वेत वामन तारों के जीवन अवस्था के
बारे में सिद्धांत प्रतिपादित किया। ■ इसके अनुसार, 1.44 सौर द्रव्यमान ही श्वेत वामन के द्रव्यमान
की ऊपरी सीमा है। इसे ही ;चंद्रशेखर सीमा कहते हैं। ■ एस. चंद्रशेखर को संयुक्त रूप से नाभिकीय खगोल भौतिकी
में डब्ल्यू. ए. फाउलर ; के साथ 1983 में नोबेल पुरस्कार प्रदान
किया गया।
न्यूट्रॉन तारा (Neutron Star)
• सुपरनोवा विस्फोट से बचे हुए केंद्रीय भाग, जो कि अत्यधिक घनत्व वाला होता है, से न्यूट्रॉन तारों का
निर्माण होता है। • अधिक गति से चक्कर लगाने वाले न्यूट्रॉनों से बने तारों को ;न्यूट्रान तारा कहते हैं।
• न्यूट्रॉन तारे के सभी अंश न्यूट्रॉन के रूप में संगठित रहते हैं। यह तीव्र रेडियो तरंगें उत्सर्जित करते हैं। •
न्यूट्रॉन तारे को ;पल्सर भी कहा जाता है।
कृष्ण विवर (Black Hole)
• कृष्ण विवर अंतरिक्ष में स्थित ऐसा स्थान है जहाँ गुरुत्वाकर्षण इतना अधिक होता है कि प्रकाश का
परावर्तन या किसी भी वस्तु का । वहाँ से पलायन नहीं हो सकता।
• इसे दूरबीन से भी नहीं देखा जा सकता। universe
• कृष्ण विवर की पुष्टि प्रकाश के अपने पथ के विचलन के द्वारा की जाती है।
• कृष्ण विवर का निर्माण तब हो सकता है जब न्यूट्रॉन तारे में द्रव्यमान एक ही स्थान पर संकेंद्रित हो जाए
अथवा उसकी मृत्यु हो रही हो।। ब्लैक होल आकार में बड़ा या छोटा हो सकता है। छोटे ब्लॅक होल स एक
परमाणु जितने छोटे हो सकते हैं लेकिन उनका द्रव्यमान बहुत अधिक होता है।
• जिन तारों का द्रव्यमान सूर्य के द्रव्यमान के तीन गुने से अधिक होता है, वे विघटित होकर अंततः कृष्ण विवर में परिणत हो जाते हैं।
कृष्ण विवर
• एक निश्चित आकृति में व्यवस्थित तारों के समूह को नक्षत्र कहा जाता है। इनकी संख्या 27 मानी जाती
है (भारतीय मनीषियों ने एक 28वें नक्षत्र अभिजीत की भी परिकल्पना की है।)
• यह आकाश में पृथ्वी के चतुर्दिक स्थित होते हैं एवं रात में दिखाई पड़ते हैं। कुछ प्रमुख नक्षत्र हैं- चित्रा,
हस्त, विशाखा, श्रवण, धनिष्ठा, मघा, आर्द्रा, अनुराधा, रोहिणी इत्यादि ।
नक्षत्र दिवस किसी नियत नक्षत्र के मध्याह्न रेखा के ऊपर से उत्तरोत्तर दो बार गुजरने के बीच के समय को
नक्षत्र दिवस कहते हैं। यह दिवस 23 घंटे 56 मिनट का होता है।
तारा मंडल (Constellation)
• आकाश में कुछ तारे सुंदर आकृतियों के रूप में व्यवस्थित होते हैं। इन आकृतियों को ;तारामंडल कहते
हैं। वर्तमान में तारामंडल में उनके आस-पास के वातावरण को भी शामिल माना जाता है। • इंटरनेशनल
एस्ट्रोनॉमिकल यूनियन (IAU) के अनुसार इनकी संख्या
88 मानी गई है।
ध्रुव तारा (Pole Star)
• उत्तरी ध्रुव पर स्थित तारे को ही ध्रुव तारा कहते हैं। यह आकाश में हमेशा एक ही स्थान पर रहता है। यह
लिटिल बियर तारा समूह का ही सदस्य है।
• सप्तर्षि मंडल की सहायता से ध्रुव तारे की स्थिति को जान सकते हैं अर्थात् सप्तर्षि मंडल के संकेतक
तारों को आपस में मिलाते हुए एक काल्पनिक रेखा खींची जाए एवं उसे आगे की ओर बढ़ाया जाए तो
यह ध्रुव तारे को इंगित करेगी।
सौरमंडल की संरचना (The Structure of the Solar System)
;सौरमंडल ; सूर्य, पृथ्वी सदृश ग्रहों, विभिन्न उपग्रहों तथा अन्य खगोलीय पिंडों का एक परिवार है, जिसमें
सूर्य एक तारा है तथा इसके आठ ज्ञात ग्रहों में क्रमशः बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, बृहस्पति, शनि, अरुण
व वरुण हैं। ये ग्रह परवलयाकार मार्ग में सूर्य की परिक्रमा करते हैं। • सूर्य हमारे सौरमंडल के केंद्र में स्थित
है, जो सौर परिवार के लिए ऊर्जा एवं प्रकाश का प्रमुख स्रोत है। इस आधार पर खगोलीय पिंडों को दो
वर्गों में बाँटा जा सकता है-
• ऐसे खगोलीय पिंड जिनके पास अपनी ऊष्मा तथा प्रकाश होता
है, जैसे-तारे।
नेप्च्यून (वरुण)
सूर्य से दूरी खगोलीय इकाई में है। अर्थात् पृथ्वी की मध्यमान दूरी 14 करोड़, 95 लाख, 98 हजार किमी.
एक इकाई के बराबर है।
माप इकाइयाँ
प्रकाश वर्ष (Light Year): यह समय का नहीं बल्कि दूरी का मापक है। 1 वर्ष में प्रकाश द्वारा 1 लाख 86
हजार मील/ सेकंड के वेग से तय की गई दूरी को ;प्रकाश वर्ष कहा जाता है। 1 प्रकाश वर्ष = 9.461 × 102
किलोमीटर पारसेक (Parsec): यह दूरी की माप की इकाई है, जो लगभग 3.3
प्रकाश वर्ष के बराबर है। ब्रह्मांड वर्ष (Cosmic Year): सूर्य सौरमंडल के अन्य सदस्यों सहित,
मंदाकिनी/आकाशगंगा की एक परिक्रमा लगभग 25 करोड़ वर्ष में पूरी करता है, इस अवधि को ही
;ब्रह्मांड वर्ष ; कहते हैं। खगोलीय इकाई (Astronomical Unit): यह सूर्य से पृथ्वी के मध्य
की औसत दूरी है। इसका मान 149,597,870,700 मीटर है।
सूर्य (Sun)
• सूर्य एक मध्यम आयु का मध्यम तारा है। इसका व्यास लगभग 13.9 लाख किमी. है। सूर्य की वर्तमान
आयु लगभग 4.7 अरब वर्ष है। • सूर्य के द्रव्यमान का 70.6 प्रतिशत भाग हाइड्रोजन और 27.4 प्रतिशत
भाग हीलियम से बना है।
• सूर्य का प्रकाश पृथ्वी पर लगभग 8 मिनट में पहुँचता है। • सूर्य अपने अक्ष पर पश्चिम से पूर्व की ओर
घूमता है। इसकी घूर्णन अवधि भूमध्य रेखा पर 25 पृथ्वी दिवस है।
• सूर्य का अपना कोई चंद्रमा नहीं है। साथ ही सूर्य पर किसी छल्ले
की भी विद्यमानता नहीं है। universe
• सूर्य की संरचना को छः क्षेत्रों में वर्गीकृत किया जा सकता है- केंद्र, विकिरण क्षेत्र, संवहनी क्षेत्र,
प्रकाशमंडल, क्रोमोस्फीयर एवं कोरोना।
• सूर्य के केंद्र का तापमान 15 मिलियन डिग्री सेल्सियस है जो नाभिकीय संलयन के अनुकूल है। सूर्य के
केंद्र का तापमान बाह्य परत (प्रकाशमंडल) से अधिक होता है।
• सूर्य का जो भाग हमें दृष्टिगोचर होता है, उसे ;प्रकाशमंडल ; (Photosphere) कहते हैं। इसका तापमान
लगभग 5.500° सेल्सियस है। प्रकाशमंडल में ही सौरकलंक (Sunspots) पाये जाते हैं।
• क्रोमोस्फीयर का आरंभ प्रकाशमंडल की उस ऊपरी परत से होता है जहाँ ऋणात्मक हाइड्रोजन कम हो
जाते हैं। क्रोमोस्फीयर में गैसों के उठते प्रवाह को ;स्पिक्यूल ; (Spicule)
कहा जाता है। कभी-कभी इस मंडल में तीव्र गहनता का प्रकाश उत्पन्न होता है, जिसे 'सौर ज्वाला' (Solar
Flare) की संज्ञा
दी जाती है।
नोट: क्रोमोस्फीयर और कोरोना के बीच 100 किलोमीटर की एक संकीर्ण पट्टी पाई जाती है जहाँ पर
तापमान अचानक से बढ़ता है। • प्रकाशमंडल का बाहरी भाग, जो केवल सूर्यग्रहण के समय दिखाई पड़ता
है, ;किरीट या 'कोरोना ; कहलाता है।
सूर्य से संबंधित अन्य तथ्य फोटोस्फीयर ■ यह एक गैसीय संरचना है, जिसमें 90 प्रतिशत हाइड्रोजन, 9 प्रतिशत हीलियम तथा 1 प्रतिशत भारी तत्त्व होते हैं। ■ फोटोस्फीयर, सूर्य की बाह्य प्रकाशित सतह को कहा जाता है। यहाँ फोटॉन की अधिकता पाई जाती है। ■ फोटोस्फीयर की सतह समान मोटाई वाली न होकर असमान है, जिसमें अनगिनत छोटे-छोटे प्रकाशित कण होते हैं, इन्हें ;ग्रैनूल कहा जाता है। ■ फोटोस्फीयर में ठंडे एवं काले धब्बों को ;सौरकलंक ; या ;सौरधब्बा कहते हैं तथा गर्म एवं प्रकाशित भाग को ;फैकुला कहा जाता है। ■ सौरकलंक की सर्वप्रथम खोज गैलीलियो ने की थी। नोट: नासा के अनुसार, सौरकलंक की खोज को लेकर गैलीलियो और थॉमस हैरियट ; के नाम में अभी भी मतभेद बने हुए हैं।
अम्बा एवं पेनुम्ब्रा
■ प्रकाशमंडल में पाये जाने वाले सौरकलंक में काले केंद्र को अम्ब्रा (Umbra) कहते हैं, तथा इसके चारों ओर हल्के रंग का क्षेत्र होता है, जिसे पेनुम्ब्रा कहते हैं।. • संपूर्ण सौर तंत्र से होकर प्रवाहित होने वाली पवन को ;सौर पवन (Solar Wind) कहते हैं। अरोरा (Aurora) • अंतरिक्ष से आने वाली ब्रह्मांड किरणों, सौर पवनों तथा पृथ्वी के चुंबकीय प्रभावों के मध्य घर्षण के कारण ध्रुवों के ऊपर एक | रंगीन चमक उत्पन्न होती है, जिसे ;अरोरा कहते हैं। 9 । उत्तरी ध्रुव पर इसे अरोरा बोरियालिस एवं दक्षिणी ध्रुव पर ;अरोरा | ऑस्ट्रलिस ; कहते हैं। (Planet) • अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ (IAU) ने वर्ष 2006 में ग्रह की नई परिभाषा दी जिसके अनुसार ग्रह उन्हीं आकाशीय पिंडों को माना जाएगा, जो-
अपनी निश्चित कक्षा में सूर्य की परिक्रमा करते हों; • ऐसे खगोलीय पिंड जो अपनी गुरुत्वाकर्षण शक्ति
से अपनी कक्षा के आस-पास अवस्थित अन्य पिंडों (उल्का पिंड, क्षुद्र ग्रह, धूमकेतु) को या तो खुद में
समाहित कर ले या कक्षा से पूर्णतया बाहर कर दे या फिर कुछ उनमें से चंद्रमा बन जाये;
ऐसा खगोलीय पिंड जिसमें पर्याप्त द्रव्यमान हो ताकि वह अपनी गुरुत्वाकर्षण शक्ति के माध्यम से अपने
लगभग गोलाकार स्वरूप को संतुलित रख सके।
• ग्रहों के पास अपना कोई प्रकाश या ऊष्मा नहीं होती। ये सूर्य से ही ऊष्मा एवं प्रकाश प्राप्त करते हैं।
• ग्रहों का अपने अक्ष पर घूमना घूर्णन ; या ;परिभ्रमण (Rotation)
कहलाता है जबकि उनका सूर्य के चारों तरफ चक्कर लगाना
;परिक्रमण ; (Revolution) कहलाता है।
• वर्तमान समय में सौरमंडल में पृथ्वी सहित 8 ग्रह हैं, जिनका
वर्गीकरण निम्न है-
ग्रह आंतरिक / पार्थिव ग्रह बाह्य / जोवियन ग्रह बृहस्पति, शनि, अरुण, वरुण बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल
क्रम (सूर्य से दूरी) के अनुसार बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, बृहस्पति, | आकार के अनुसार (बढ़ते क्रम में)- बुध, मंगल, शुक्र, पृथ्वी, शनि, अरुण, वरुण
वरुण, अरुण, शनि, बृहस्पति
पार्थिव ग्रह जोवियन ग्रह
पार्थिव ग्रहों का निर्माण सूर्य के निकट हुआ। | जोवियन ग्रहों का निर्माण सूर्य से अधिक दूरी पर हुआ। |
---|---|
पार्थिव ग्रहों की सूर्य से निकटता के कारण यहाँ अत्यधिक तापमान है। | जोवियन ग्रहों के सूर्य से कम निकटता के कारण यहाँ पार्थिव ग्रहों की अपेक्षा तापमान कम है। |
सूर्य के निकट सौर वायु अधिक शक्तिशाली होने के कारण यह पार्थिव ग्रहों से धूलकण और गैसों को उड़ाकर ले गई। अर्थात् इन ग्रहों में इनकी अत्यधिक कमी पाई जाती है। |
सूर्य से अधिक दूरी पर सौर वायु शक्ति कम प्रभावशाली होती है, अतः जोवियन ग्रहों पर धूलकण एवं गैसों की अधिकता पाई जाती है। |
पार्थिव ग्रहों के छोटे आकार के कारण इनकी गुरुत्वाकर्षण शक्ति कम है, जिससे यह गैसों को अपनी ओर अधिक मात्रा में आकर्षित नहीं कर पाये। |
■ जोवियन ग्रहों के बड़े आकार के कारण इनकी गुरुत्वाकर्षण शक्ति अधिक है, जिस कारण गैसों का संकेंद्रण यहाँ अधिक पाया गया। |
इसके साथ-साथ इन ग्रहों पर बाहरी धातु, जैसे- लोहा और निकेल अत्यधिक मात्रा में हैं। | जोवियन ग्रहों के उदाहरण- बृहस्पति, शनि, यूरेनस (अरुण) तथा नेप्च्यून (वरुण) हैं। ये गैसीय ग्रह हैं। बुध (Mercury) |
■ पार्थिव ग्रह के उदाहरण- बुध. शुक्र, पृथ्वी तथा मंगल हैं। ये ठोस ग्रह हैं। | |
बुद्ध
• यह सूर्य से सबसे निकट का ग्रह है एवं सौरमंडल का सबसे छोटा ग्रह है।
• यह सूर्य की परिक्रमा सबसे कम समय (88 दिन) में पूरा कर लेता है।
• इसकी कक्षीय गति सौरमंडल के अन्य ग्रहों की अपेक्षा सर्वाधिक
है। यह 48 किमी. प्रति सेकंड की गति से सूर्य की परिक्रमा करता है। (कुछ अन्य स्रोतों में 50 किमी. प्रति
सेकंड) • यहाँ दिन अत्यधिक गर्म तथा रातें बर्फीली होती हैं, अतः बुध का तापांतर अन्य ग्रहों की अपेक्षा
सर्वाधिक है।
• बुध के पास अपना कोई उपग्रह नहीं है। बुध पर वायुमंडल का अभाव है।
शुक्र (Venus)
• यह पृथ्वी के सर्वाधिक नजदीक है, जो सूर्य एवं चंद्रमा के बाद तीसरा सबसे चमकीला खगोलीय पिंड है।
• शाम को पश्चिम में एवं सुबह को पूरब में दिखाई देने के कारण
ही इसे क्रमश: ;सांझ का तारा तथा ;भोर का तारा ; भी कहते हैं। • इसे ;पृथ्वी की बहन भी कहा जाता है,
क्योंकि यह आकार, घनत्व एवं व्यास में पृथ्वी के लगभग बराबर है।
• शुक्र के वायुमंडल में अधिकतम कार्बन डाइऑक्साइड (90-95 प्रतिशत) होने के कारण ही इस पर
;प्रेशरकुकर जैसी स्थिति उत्पन्न होती है इसलिये यह सबसे गर्म ग्रह (सतह का तापमान लगभग 465°C) है।
इसके चारों तरफ सल्फर डाइआक्साइड के घने बादल हैं।
;शुक्र एवं अरुण की परिक्रमण दिशा विपरीत (पूरब से पश्चिम) अर्थात् दक्षिणावर्त है, जबकि अन्य सभी
ग्रहों की वामावर्त है।
• बुध के समान इसका भी कोई उपग्रह नहीं है।
• इसका परिक्रमण काल 225 दिनों (कुछ स्रोतों में 255 दिन) का तथा घूर्णन काल 243 दिनों का होता है
अर्थात् हमारे सौरमंडल के अन्य ग्रहों की अपेक्षा सर्वाधिक लंबे दिन-रात यहाँ होते हैं।
geeft (Earth)
• पृथ्वी सौरमंडल का एकमात्र ऐसा ग्रह है, जिस पर जीवन है।
• आकार की दृष्टि से यह पाँचवा बड़ा ग्रह तथा पार्थिव ग्रहों में सबसे बड़ा ग्रह है, वहीं सूर्य से दूरी के क्रम में तीसरे
स्थान पर है। ● पृथ्वी अपने अक्ष पर 236° झुकी हुई है। ध्रुवों के पास थोड़ी चपटी
होने के कारण इसके आकार को ;भूआभ ; (Geoid) कहा जाता है।
● पृथ्वी पर जल की अधिकता होने के कारण अंतरिक्ष से देखने पर यह ;नीला दिखाई देता है, इसलिये इसे नीला ग्रह भी कहते हैं। • पृथ्वी का घूर्णन काल 23 घंटे 56 मिनट एवं 4 सेकंड अर्थात् लगभग एक दिन का होता है तथा सूर्य के चारों ओर एक परिक्रमण 365 दिन, 5 घंटे,
48 मिनट एवं 46 सेकंड अर्थात् लगभग एक वर्ष का होता है। पृथ्वी को सूर्य का एक चक्कर लगाने में लगे
समय को सौर वर्ष कहते हैं।
● सौरमंडल में सक्रिय ज्वालामुखी पाये जाने वाले पाँच ग्रहों में से यह भी एक है। इसके अलावा बृहस्पति, शनि, शुक्र
और वरुण ग्रहों पर सक्रिय ज्वालामुखी हैं। universe
• ;चंद्रमा पृथ्वी का एकमात्र उपग्रह है।
गोल्डीलॉक्स जोन गोल्डीलॉक्स जोन को निवास योग्य क्षेत्र या जीवन क्षेत्र (पृथ्वी सदृश) भी कहा जाता है। किसी तारे से उस दूरी वाले
क्षेत्र को गोल्डीलॉक्स जोन कहा जाता है, जहाँ पर किसी ग्रह की सतह पर तरल जल काफी मात्रा में मौजूद हो सकता
है।
■ यह निवास योग्य क्षेत्र अंतरिक्ष में किन्हीं दो क्षेत्रों का प्रतिच्छेदन
बिंदु क्षेत्र होता है, जिन्हें जीवन हेतु सहायक होना चाहिये।
मंगल (Mars)
• यह ग्रह आकार की दृष्टि से सातवाँ बड़ा तथा सूर्य से दूरी के क्रम में चौथे स्थान पर है।
• इसे सूर्य की परिक्रमा करने में लगभग 687 दिन लगते हैं। • मंगल आंतरिक ग्रहों में सबसे बाहरी ग्रह है।
• मंगल ग्रह की मिट्टी में ;आयरन ऑक्साइड की अधिकता होने के कारण यह लाल रंग का दिखाई देता है
इसीलिये मंगल को ;लाल ग्रह ; भी कहते हैं।
• मंगल के वायुमंडल में 95 प्रतिशत कार्बन डाइऑक्साइड तथा अन्य गैसों के रूप में नाइट्रोजन, आर्गन व
कार्बन मोनोऑक्साइड जैसे गैसों की विद्यमानता पाई जाती है।
• अपने अक्ष पर 25° झुके होने के कारण मंगल पर पृथ्वी के समान ही लगभग समान अवधि के दिन और रात होते हैं।
● ;फोबोस तथा ;डीमोस ; मंगल के दो उपग्रह हैं तथा डीमोस सौरमंडल
का सबसे छोटा उपग्रह है।
● सौरमंडल का सबसे बड़ा ज्वालामुखी ;ओलम्पस मोन्स (Olympus Mons) तथा सबसे ऊँचा पर्वत ;निक्स
ओलंपिया (Nix Olympia) मंगल ग्रह पर ही मौजूद हैं। निक्स ओलंपिया पर्वत एवरेस्ट से तीन गुना ऊँचा है।
बृहस्पति (Jupiter)
• यह सौरमंडल का सबसे बड़ा और सबसे भारी ग्रह है तथा सूर्य से दूरी के क्रम में पाँचवें स्थान पर है।
• यह लगभग 12 वर्षों में सूर्य की परिक्रमा पूर्ण करता है। अपने अक्ष
पर यह लगभग 9 घंटे 56 मिनट में एक चक्कर लगाता है। यह दूसरा सर्वाधिक उपग्रहों वाला ग्रह है,
हालाँकि इसके कुल 79 उपग्रहों में से ज्यादातर उपग्रह बहुत छोटे आकार के हैं।
• गैनीमीड, कैलिस्टो लो (आयो) तथा यूरोपा इसके सबसे बड़े उपग्रह
हैं तथा गैनीमीड इस सौरमंडल का सबसे बड़ा उपग्रह है। • लो (आयो) हमारे सौरमंडल में सर्वाधिक सक्रिय
ज्वालामुखी वाला पिंड है।
• बृहस्पति ग्रह की खोज गैलीलियो ने की थी।
• बृहस्पति का पलायन वेग सौरमंडल का सर्वाधिक अर्थात् 59.6 किमी / सेकंड है।
• इसके बड़े आकार के कारण इसे तारा सदृश ग्रह भी कहा जाता है तथा इसे 'मास्टर ऑफ गॉड्स'
(Master of Gods) की भी उपमा प्रदान की गई है।
• यह तारा एवं ग्रह दोनों के गुणों से युक्त है, क्योंकि इसके पास स्वयं की रेडियो ऊर्जा है और इसके
वायुमंडल में हाइड्रोजन, हीलियम, मीथेन एवं अमोनिया गैसें पाई जाती हैं इसलिये बृहस्पति को 'लघु सौर
तंत्र भी कहते हैं।
• नासा द्वारा बृहस्पति के अध्ययन हेतु 2011 में जूनो ; नामक अंतरिक्ष यान भेजा गया था, जो 2016 में
बृहस्पति पर पहुँचा था।
शनि (Saturn)
• यह आकार में दूसरा सबसे बड़ा ग्रह है तथा सूर्य से दूरी के क्रम
में छठवें स्थान का ग्रह है।
• इसके चारों ओर बलयों का पाया जाना इसकी प्रमुख विशेषता है। • इसका घनत्व 0.7 ग्राम प्रति घन
सेमी. है जो अन्य सभी ग्रहों में सबसे कम है।
• शनि का ऊपरी वायुमंडल पीली अमोनिया कणों की परत से घिरा है, जिससे यह पीले रंग का दिखाई
देता है।
लगभग प्रत्येक 14.7 वर्ष में एक खगोलीय घटना में शनि ग्रह के छल्ले कुछ समय के लिए लुप्त प्रतीत
होते हैं, जिसे रिंग क्रॉसिंग (Ring Crossing) की घटना कहते हैं।
बाड एवं सौरमंडल
• इसको वायुमंडल में भी बृहस्पति के समान हाइड्रोजन, हीलियम, मोथेन तथा अमोनिया गैसें पाई जाती
है। इस कारण इसे गैसों का गोला भी कहते हैं।
शनि का घूर्णन काल 10 घंटा, 40 मिनट तथा परिक्रमण काल 29 वर्ष (कुछ स्रोतों में 29 वर्ष, 5 माह) का
होता है।
शनि ग्रह का सबसे पहला खोजा गया उपग्रह ;टाइटन ; (Titan) है। इसके 82 उपग्रह है, जिसमें एसेलेडस
नामक उपग्रह पर सक्रिय
ज्वालामुखी पाये गए हैं। • यह अंतिम ग्रह है, जिसे आँखों से देखा जा सकता है।
;टाइटन शनि का सबसे बड़ा उपग्रह जबकि सौरमंडल का द्वितीय बड़ा उपग्रह है।
"फोबे उपग्रह ; शनि के अन्य उपग्रहों की अपेक्षा विपरीत दिशा में परिभ्रमण करता है।
अरुण (Uranus)
• यह ग्रह आकार में तीसरा बड़ा तथा सूर्य से दूरी के क्रम में सातवें
स्थान पर है।
• इस ग्रह की खोज ;सर विलियम हर्शेल ; ने सन 1781 में की थी। • इसे सूर्य की परिक्रमा करने में 84 वर्ष
लगते हैं। इस ग्रह के 27 ज्ञात उपग्रह हैं।
• मीथेन गैस की अधिकता के कारण यह नीले-हरे रंग का दिखाई
देता है।
• अक्षीय झुकाव अधिक होने के कारण इसे ;लेटा हुआ ग्रह भी कहते हैं।
यह अपने अक्ष पर पूरब से पश्चिम (दक्षिणावर्त) दिशा में घूमता है. इसलिये यहाँ सूर्योदय पश्चिम में एवं
सूर्यास्त पूरब में होता है। • अरुण ग्रह में शनि की तरह चारों ओर वलय पाये जाते हैं।
वरुण (Neptune)
• यह ग्रह आकार में चौथा तथा सूर्य से दूरी के क्रम में आठवें स्थान
पर है। • इसे सूर्य की परिक्रमा करने में लगभग 165 वर्ष (कुछ स्रोतों में 164 वर्ष) लगते हैं।
• जॉन काउच एडम्स, अर्बन ली वेरियर ने इस ग्रह की परिकल्पना तैयार की। 1846 ई. में ली बेरियर के
मापदंडों के आधार पर (एडम्स ने कभी अपनी परिकल्पना प्रकाशित नहीं की) जॉन गाले ने इस ग्रह की
खोज की।
• यह हरे नीले रंग का प्रतीत होता है तथा सर्वाधिक ठंडा ग्रह है। • इसके 14 ज्ञात उपग्रह हैं। 'ट्राइटन'
(Triton) इसका प्रमुख उपग्रह है। ट्राइटन पर उष्णोत्स (गीज़र) के प्रमाण मिले हैं।
बौने ग्रह
• ऐसे ग्रह जो आकार, द्रव्यमान. गुरुत्वाकर्षण बल एवं अपने परिभ्रमण चक्र में अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ
(आई.ए.यू.) द्वारा 2006 में निर्धारित ग्रहों की परिभाषा से भिन्नता रखते हों, उन्हें बौने ग्रह की श्रेणी में रखा
जाता है।
# वर्तमान में सेरेस, प्लूटो (यम), एरीस, होमिया, मेकमेक आदि को | बौना ग्रह माना जाता है।
प्लूटो
■ प्लूटो की खोज 1930 में क्लाइड टॉमबैग ने की थी। 2006 से पहले तक इसे सौरमंडल का नौवाँ एवं सबसे छोटा
ग्रह माना जाता था। वर्ष 2006 में ;प्राग' में हुए अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ (आई.ए.यू.) के सम्मेलन में ग्रहों की
निर्धारित नई परिभाषा के आधार पर प्लूटो
से ग्रह का दर्जा छीन लिया गया।
■ प्राग सम्मेलन में 75 देशों के लगभग 2,500 वैज्ञानिकों ने ग्रहों की नई परिभाषा दी। उनके अनुसार, ऐसे पिंड
जिसमें पर्याप्त गुरुत्वाकर्षण बल हो जिससे वह गोल स्वरूप धारण कर सके, वह सूर्य का चक्कर काटता हो, साथ ही
उसके आस-पास अन्य खगोलीय पिंडों की अधिक भीड-भाड़ न हो, ग्रहों के दर्जे में आएंगे।
■ प्लूटो को ग्रह की श्रेणी से अलग करने के पीछे वैज्ञानिकों का तर्क था कि यह नेप्च्यून की कक्षा से होकर गुज़रता है,
इसका गुरुत्वाकर्षण बल कम है व आकार की दृष्टि से यह कई उपग्रहों से भी छोटा है। अतः इसे ग्रह की श्रेणी में नहीं
रखा जा सकता।
■ ग्रह की श्रेणी से अलग किये जाने के बाद प्लूटो को सौरमंडल के बाहरी क्यूपर घेरे की सबसे बड़ी संरचना
(खगोलीय वस्तु) माना जा रहा है।
ग्रह परिक्रमण की अवधि घूर्णन की अवधि
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ग्रह ,घूर्णन की अवधि परिक्रमण कीअवधि
बुध 58.65 दिन | 88 दिन |
---|---|
शुक्र 243 | दिन 225 दिन (कुछ अन्य स्रोतों में 255 दिन) |
पृथ्वी 23 घंटे, 56 मिनट, 4 सेकंड | 365 दिन, 5 घंटे, 48 मिनट, 46 सेकंड |
मंगल 24 घंटे 37 मिनट, 23 सेकंड | लगभग 687 दिन |
बृहस्पति 9 घंटे, 55 मिनट | लगभग 12 वर्ष |
-शनि10 घंटे 40 मिनट | लगभग 29 वर्ष |
अरुण (यूरेनस) 17 घंटे 14 मिनट | लगभग 84 वर्ष |
| वरुण (नेप्च्यून) 16 घंटे | 165 वर्ष (कुछ स्रोतों में 164 वर्ष) |
विभिन्न ग्रह पर | उपस्थित गैसें |
बुध | वायुमंडल रहित), हाइड्रोजन का हल्का आवरण |
शुक्र | CO2, SO2, |
पृथ्वी | N2, O2, CO2, अन्य |
मंगल | CO2, N2, Ar |
बृहस्पति | He, H2, CH4, NH3, |
शनि | NH3,, CH4,, H2. He |
अरुण | H2., He, CH4 |
वरुण | CH4, H2, He |
प्राकृतिक उपग्रह (Natural Satellite / Moon)
• वे आकाशीय पिंड जो अपने ग्रह की परिक्रमा करने के साथ-साथ सूर्य की भी परिक्रमा करते हैं, 'उपग्रह'
कहलाते हैं। • ग्रहों की भाँति इनमें भी अपनी चमक (प्रकाश) नहीं होती। अतः
ये भी सूर्य (तारों) के ही प्रकाश से प्रकाशित होते हैं। • सबसे अधिक उपग्रह शनि के हैं तथा 'बुध एवं शुक्र'
का कोई | उपग्रह नहीं है।
चंद्रमा
■ चंद्रमा पृथ्वी का एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह है तथा इसकी उत्पत्तिपृथ्वी के ही एक टुकड़े से मानी जाती है।
■ चंद्रमा पर वायुमंडल अनुपस्थित है।
■ चंद्रमा का पथ परवलयाकार होने के कारण पृथ्वी एवं चंद्रमा के बीच की
दूरी घटती-बढ़ती रहती है। अतः जब पृथ्वी एवं चंद्रमा के बीच की दूरी न्यूनतम होती है तो इस स्थिति को ;पेरीजी
कहते हैं। इस स्थिति में चंद्रमा अपेक्षाकृत अधिक बड़ा एवं चमकीला दिखाई पड़ता है एवं जब दोनों के बीच की दूरी
अधिकतम होती है तो उस स्थिति को ;अपोजी ; कहते हैं।
■ चंद्रमा की परिभ्रमण तथा परिक्रमण अवधि लगभग 27 दिन, 8 घण्टे
■ लगातार चार पूर्ण चंद्रग्रहण के संयोजन को ब्लडमून या टेट्राड | कहते हैं। इस अवस्था में चंद्रमा पूर्ण रूप से लाल
प्रतीत होता है।
■ चंद्रमा का गुरुत्वीय क्षेत्र पृथ्वी के गुरुत्वीय क्षेत्र का भाग है।
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धूमकेतु/पुच्छल तारे (Comet)
• धूमकेतु आकाश में धूल, बर्फ और गैस से निर्मित पिंड होते हैं, जो सूर्य के परवलयाकार पथ पर
अनियमित परिक्रमा करते हैं। जब भी कोई धूमकेतु सूर्य के नजदीक पहुँच जाता है तो गर्म होने के बाद
उनसे गैसों के फुहारे निकलने लगते हैं, जिससे पूँछ जैसी संरचना का निर्माण होता है, इसे ही 'पुच्छल
तारा' कहते हैं।
• पुच्छल तारे की पूँछ सूर्य के विपरीत दिशा में रहती है। ;हैली एक पुच्छल तारा है। यह पृथ्वी से प्रायः
प्रत्येक 76 वर्ष बाद दिखाई देता है, जो पृथ्वी के पास से गुजरने वाले किसी भी धूमकेतु के लिये सबसे कम
अवधि हैं।
धूमकेतु के तीन भाग होते हैं-
यह मकेतु का मुख्य स्थायी भाग है, जो धूल, बर्फ एवं अन्य दोस पदार्थों से मिलकर बना है।
कोमा
• यह धूमकेतु का शीर्ष भाग है, जिससे जल, कार्बन डाइऑक्साइड तथा अन्य गैसों का घना बादल केंद्र से
उत्सर्जित होता रहता है।
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पूछ
• यह धूमकेतु के पीछे का हिस्सा है जो फुहारे के रूप में गैसों के ;अवशेष होते हैं।
क्षुद्र ग्रह (Asteroids)
• क्षुद्र ग्रह भिन्न-भिन्न आकार के पिंडों की पट्टी के रूप में मंगल और बृहस्पति ग्रह के मध्य करोड़ों
किलोमीटर क्षेत्र में पाये जाते हैं। • क्षुद्र ग्रह सूर्य के चारों तरफ अन्य ग्रहों के समान ही दीर्घवृत्तीय कक्षा में
पश्चिम से पूर्व (घड़ी की सुई के विपरीत दिशा में परिक्रमा करते हैं।
• विदित है कि 2006 में अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ द्वारा प्लूटो को ग्रह की श्रेणी से बाहर निकालकर
क्षुद्रग्रह की श्रेणी में रखा गया एवं प्लूटो तथा उसके जैसे अन्य क्षुद्र ग्रहों के लिए एक नई श्रेणी ;प्लूटॉइड ;
बना दी गई।
• 9;सेरेस सबसे बड़ा एवं सर्वाधिक चमकीला क्षुद्र ग्रह है जबकि 4 वेस्टा, 52 यूरोपा 243 इडा, 1862 अपोलो
511 डेविडा अन्य क्षुद्र ग्रह हैं।
उल्का / उल्कापिंड (Meteors/Meteorite)
• मंगल एवं बृहस्पति के मध्य क्षुद्र ग्रहों के साथ अरबों की संख्या में उल्का पाये जाते हैं परंतु वरुण ग्रह के
पश्चात् क्यूपर बेल्ट (Kuijper Belt) उल्काओं का सबसे बड़ा स्रोत है।• जब उल्का पृथ्वी के वायुमंडल में
प्रवेश करते हैं तो गैसों से होने वाले घर्षण के कारण अग्नि प्रज्वलित अवस्था में दृष्टिगत होते हैं, इसे ही
'टूटता हुआ तारा' (Shooting Star) कहते हैं। इनमें से कुछ पृथ्वी पर पहुँचने से पूर्व ही जलकर राख हो
जाते हैं जो कि 'उल्काश्म' कहलाते हैं। जबकि कुछ उल्कायें जो चट्टानों के रूप में पृथ्वी पर जाकर गिरते हैं
वो 'उल्कापिंड' कहलाते हैं।
प्रमुख पुस्तकें एवं
पुस्तक
उनके लेखक
लेखक ए ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ टाइम द थ्योरी ऑफ एवरीथिंग
द वर्ल्ड ऐज आई सी इट
द मैथमैटिकल थ्योरी ऑफ ब्लैक होल्स
स्टीफन हॉकिंग
स्टीफन हॉकिंग
अल्बर्ट आइंस्टीन
सुब्रह्मण्यम चंद्रशेखर
■ हमारी पृथ्वी से सूर्य के बाद सबसे नजदीक का तारा प्रोक्सिमा
अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य
सेंटोरी है जो लगभग 4 प्रकाश वर्ष दूर
# दो आकाशगंगाओं के मध्य का स्थान काला है। हिग्स बोसॉन कण को गॉड पार्टिकल कहा जाता है।
1 यदि कोई खगोलीय पिंड प्रकाश के वेग से गतिमान हो तो उसका द्रव्यमान अनंत होगा।
■ ब्रह्मांडीय किरणें तेज गति से चलने वाली ऐसी सूक्ष्म कण हैं जो बाह्य अंतरिक्ष से निरंतर पृथ्वी के वायुमंडल में
प्रवेश करती रहती हैं। सर्वप्रथम इन किरणों का अध्ययन ;मिलिकन नामक वैज्ञानिक ने किया।
■ केपलर को नवीन खगोलशास्त्र का, जबकि कॉपरनिकस को आधुनिक खगोलशास्त्र का जनक कहा जाता है।
■ प्रोटोस्टार या आदि तारे को ;भ्रूण तारा भी कहा जाता है। ■ तारे में हाइड्रोजन (-70 प्रतिशत), हीलियम (~28
प्रतिशत). कार्बन, नाइट्रोजन तथा निऑन (-1.5 प्रतिशत) एवं लौह तत्त्व (~0-5 प्रतिशत) पाये जाते हैं।
■ पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र का अक्ष भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में भिन्न-भिन्न होता है। उत्तरी गोलार्द्ध में पृथ्वी का चुंबकीय ध्रुव
उत्तर में 'क्वीन एलिजाबेथ द्वीप' पर स्थित है। 'कनाडा' के
■ दक्षिण भारत में 'केरल के तिरुवनंतपुरम' जिले में 'थुंबा' में *TERLS' (Thumba Equatorial Rocket
Launching Station) को स्थापित किया गया है, क्योंकि यहाँ चुंबकीय क्षेत्र अन्य स्थानों की अपेक्षा अधिक है।
क्वासर्स एक चमकीला खगोलीय पिंड है, जो प्रकाश उत्सर्जित करता है। वास्तव में क्वासर्स एक ऐसी
आकाशगंगा का मध्य भाग है जिसका ज्ञान हमें अब तक नहीं है।
■ 1916 में अल्बर्ट आइंस्टीन ने 'सापेक्षता के सिद्धांत' के माध्यम
से पहली बार ब्लैक होल की भविष्यवाणी की थी। ■ 1967 में भौतिक वैज्ञानिक जॉन व्हीलर ने सार्वजनिक
व्याख्यान में सर्वप्रथम ब्लैक होल ; शब्द का प्रयोग किया।
■ 1974 में स्टीफन हॉकिंग ने अपनी सबसे प्रसिद्ध खोज काले विवर विकिरण उत्सर्जित करते हैं का प्रतिपादन
किया।
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UPSC/UPPSC एंव अन्य परीक्षाओं से संबन्धित महत्वपूर्ण प्रश्न
1. पृथ्वी ग्रह पर जल के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: 1. नदियों और झीलों में जल की
मात्रा, भू-जल की मात्रा से अधिक है।
2. ध्रुवीय हिमच्छद और हिमनदों में जल की मात्रा, भू-जल की
मात्रा से अधिक है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(d) न तो 1 और न ही 2
(c) 1 और 2 दोनों
IAS, 2021
2. हाल ही में वैज्ञानिकों ने पृथ्वी से अरबों प्रकाश वर्ष दूर विशालकाय ब्लैकहोलों के विलय का प्रेक्षण
किया। इस प्रेक्षण का क्या महत्त्व है?
(a) ;हिग्स बोसॉन कणों का अभिज्ञान हुआ।
(b) गुरुत्वीय तरंगों का अभिज्ञान हुआ।
(c) ;वॉर्महोल ; से होते हुए अंतरा मंदाकिनीय अंतरिक्ष यात्रा की संभावना की पुष्टि हुई।
(d) इसने वैज्ञानिकों को ;विलक्षणता (सिंगुलैरिटि) को समझना सुकर बनाया।
LAS, 2019
3. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: 1. पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र हर कुछ सौ हजार सालों में उत्क्रमित
हुआ है।
2. पृथ्वी जब 4000 मिलियन वर्षों से भी अधिक पहले बनी तो
ऑक्सीजन 54% थी और कार्बनडाइऑक्साइड नहीं थी। 3. जब जीवित जीव पैदा हुए. उन्होंने पृथ्वी के
आरंभिक वायुमंडल को बदल दिया।
उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3 LAS, 2018
4. इनमें से किसने पहली बार यह व्याख्या की थी कि पृथ्वी के अपनी धुरी पर घूमने के कारण प्रतिदिन
सूर्योदय एवं सूर्यास्त होता है?
(a) आर्यभट्ट
(b) भास्कर
(c) ब्रह्मगुप्त
(d) वराहमिहिर
(e) उपर्युक्त में से कोई नहीं/उपर्युक्त में से एक से अधिक
64 BPSC, 2018
5. एक निश्चित आकृति में व्यवस्थित ताराओं का समूह, कहलाता है-
(a) आकाशगंगा
(b) नक्षत्र (d) सौरमंडल
(c) एंड्रोमिडा
6. इंटरनेशनल एस्ट्रोनॉमिकल यूनियन द्वारा सन् 2006 में दी गई एक नई परिभाषा के अनुसार
निम्नलिखित में से कौन-सा ग्रह नहीं है?
(a) यूरेनस (c) प्लूटो
(b) नेप्च्यून
(d) जुपिटर
UPPSC (Pre), 2013
MPPSC, 2012
7. पृथ्वी का निकटतम ग्रह कौन-सा है?
(b) बुध (d) बृहस्पति
(a) शुक्र (c) मंगल
UPPSC (Pre), 1991, 1993, 1997, 2012
UKPSC, 2002
8. सूर्य के गिर्द एक परिक्रमण के लिये निम्न में से कौन सा एक ग्रह अधिकतम समय लेता/ लेती है?
(a) पृथ्वी
(b) बृहस्पति
(c) मंगल
(d) शुक्र
IAS, 2003: UPPSC (Pre), 2011
9. निम्नलिखित में से कौन-सा सौरमंडल का भाग नहीं है?
(a) क्षुद्र ग्रह
(b) भूमकेतु
(c) ग्रह
(d) निहारिका
53-55 BPSC, 2011
10. टाइटन सबसे बड़ा चंद्रमा या उपग्रह है-
(a) मंगल का
(b) शुक्र का
(c) बृहस्पति का
(d) शनि का
UPUDA/LDA (Pre), 2006
11. जब किसी वस्तु को पृथ्वी से चंद्रमा पर ले जाया जाता है तो-
(a) उसका भार बढ़ जाता है।
(b) उसका भार घट जाता है।
(c) उसके भार में कोई परिवर्तन नहीं होता है।
(d) वह पूर्ण रूप से भार रहित हो जाती है।
UPPSC (Pre), 2006
12. सूर्य की ऊर्जा उत्पन्न होती है-
(a) आयनन द्वारा
(b) नाभिकीय संलयन द्वारा
(c) नाभिकीय विखंडन द्वारा (d) ऑक्सीकरण द्वारा
UPPSC (Pre), 1996, 2001, 2006
13-ग्रह जिसका कोई उपग्रह नहीं है, वह है-
(a) मंगल
(b) बुध
(c) नेप्ट्यून
(d) प्लूटो
UPPSC (Pre), 2008; BPSC, 2000; 424 BPSC, 1997: 44
14. सौरमंडल में सबसे बड़ा ग्रह कौन-सा है?
(a) बृहस्पति
(b) वरुण
(c) शुक्र
(d) शनि
UPPSC (Pre), 1990, MPPSC, 1990, 1996,
41- BPSC, 1996
उत्तरमाला
1. (b) 2. (d) 3. (c) 4-(a)5(b) 6. (c)11. (b)7. (a)8(b) 9(d) 10(b),11(b) 12. (d)8. (b)13. (b)5. (b)10. (b)9. (d)14. (a)