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सामान्य अध्यय्न (General Studies : An Introduction)

upcs ‘सामान्य अध्ययन में ऐसे प्रश्न पूछे जाएंगे जिनके उत्तर एक सुशिक्षित व्यक्ति बिना किसी विशेषज्ञतापूर्ण अध्ययन के दे सकता है। ये प्रश्न बहुत से ऐसे विषयों में उम्मीदवार की जानकारी या जागरूकता का स्तर जाँचने के लिये पूछे जाएंगे जिनकी प्रासंगिकता सिविल सेवाओं में कार्य करने के दौरान होती है। प्रश्नों के माध्यम से सभी प्रासंगिक मुद्दों पर उम्मीदवार की मूल समझ परखने के साथ-साथ इस बात की भी जाँच की जाएगी कि उसके पास परस्पर विरोधी सामाजिक-आर्थिक लक्ष्यों तथा मांगों के विश्लेषण की कितनी योग्यता है।” upcs

upcs सच कहा जाए, तो संघ लोक सेवा आयोग द्वारा की गई यह घोषणा सिर्फ औपचारिक महत्त्व की है। वास्तविकता यह है कि सामान्य अध्ययन के प्रश्नपत्र में कई बार प्रश्न इतने कठिन और गहरे स्तर के होते हैं कि उस विषय के विशेषज्ञ भी उनका उत्तर नहीं दे पाते। upcs

पाठ्यक्रम की चुनौती (Challenge of Syllabus)

upcs सामान्य अध्ययन का पाठ्यक्रम इतना विस्तृत और समावेशी है। कि उसे गंभीरता के साथ कम-से-कम एक वर्ष का समय देना जरूरी है। हिंदी माध्यम के विद्यार्थियों के लिये तो सामान्य अध्ययन दोहरी चुनौती पेश करता है। एक तरफ अंग्रेज़ी की तुलना में हिंदी में मौजूद पाठ्य सामग्री कमजोर होती है, तो दूसरी तरफ कुछ परीक्षकों का हिंदी भाषा में सहज न होना भी उन्हें नुकसान पहुँचा सकता है। इसलिये हिंदी माध्यम के विद्यार्थियों को अपनी तैयारी में अतिरिक्त सावधानी बरतने की ज़रूरत पड़ती है। upcs

आई.ए.एस. या सिविल सेवक 

अगर आप सचमुच आई.ए.एस. या सिविल सेवक बनना चाहते हैं तो सामान्य अध्ययन को पूरे विस्तार और गहराई से पढ़े बिना आपका अपनी मंजिल तक पहुँचना आसान नहीं है।

*(UPSC Exam Pattern अगले पृष्ठ पर दिया गया है।)

प्रारंभिक परीक्षा

प्रारंभिक परीक्षा के लिये सामान्य अध्ययन (General Studies for Preliminary Examination)

प्रारंभिक परीक्षा क्या है (What is Preliminary Examination?)

  1. सिविल सेवा परीक्षा 3 चरणों में संपन्न होती है जिसका पहला चरण प्रारंभिक परीक्षाकहलाता है। इस पहले चरण की प्रकृति वस्तुनिष्ठ प्रकार की होती है।
  2. इसके लिये प्रतिवर्ष लगभग 9 से 10 लाख उम्मीदवार आवेदन करते हैं, उनमें से लगभग 4 से 5 लाख परीक्षा में बैठते हैं तथा लगभग 12-13 हजार ही सफल होते हैं।
  3. इस परीक्षा में कितने उम्मीदवार सफल होंगे, यह इस आधार पर तय होता है कि उस वर्ष कुल कितनी रिक्तियाँ (Vacancies) भरी जानी हैं। आमतौर पर रिक्तियों की कुल संख्या के 12-13 गुना उम्मीदवारों को सफल घोषित किया जाता है। आजकल हर वर्ष 800-1000 के आस-पास रिक्तियाँ घोषित की जाती हैं. इसलिये लगभग 12-13 हज़ार उम्मीदवारों को प्रारंभिक परीक्षा में सफलता प्राप्त होती है।
  4. सफल होने वाले इन उम्मीदवारों को परीक्षा के दूसरे चरण अर्थात् मुख्य परीक्षा के लिये आमंत्रित किया जाता है।

प्रारंभिक परीक्षा की संरचना (Structure of Preliminary Examination)

प्रारंभिक परीक्षा में दो प्रश्नपत्र होते हैं। पहला प्रश्नपत्र सामान्य अध्ययनका है जबकि दूसरे को सिविल सेवा अभिरुचि परीक्षण‘ (Civil Services Aptitude Test) या सीसैटकहे जाने का प्रचलन है और यह क्वालीफाइंग पेपर के रूप में है। दोनों प्रश्नपत्र 200-200 अंक के होते हैं, अतः परीक्षा कुल 400 अंकों की होती है। पहले प्रश्नपत्र (सामान्य अध्ययन) में 2-2 अंकों के 100 प्रश्न होते हैं जबकि दूसरे (सीसैट) में 2.5-2.5 अंकों के 80 प्रश्न दोनों प्रश्नपत्रों में प्रत्येक प्रश्न के साथ 4-4 विकल्प दिये जाते हैं जिनमें से उम्मीदवार को सही उत्तर का चयन करना होता है। दोनों प्रश्नपत्रों में ऋणात्मक अंकन‘ (Negative Marking) की व्यवस्था लागू है जिसके तहत 3 उत्तर गलत होने पर । सही उत्तर के बराबर अंक काट लिये जाते हैं। इस नियम के अंतर्गत सामान्य अध्ययन में एक सही उत्तर के लिये 2 अंक दिये जाते हैं जबकि एक गलत उत्तर के लिये 0.67 अंक काट लिये जाते हैं। इसी तरह, सीसैट में एक सही उत्तर के लिये 2.5 अंक दिये जाते हैं जबकि एक गलत उत्तर पर 0.83 अंक का नुकसान होता है।

चूँकि सीसैट पेपर क्वालीफाइंग पेपर के रूप में है इसलिये प्रारंभिक परीक्षा पास करने के लिये किसी भी उम्मीदवार को सीसैट पेपर में सिर्फ 33 प्रतिशत अंक (लगभग 27 प्रश्न या 66 अंक) प्राप्त करने आवश्यक होते हैं। अगर वह इससे कम अंक प्राप्त करता है, तो उसे अनुत्तीर्ण (Fail) माना जाता है। कट-ऑफ का निर्धारण सिर्फ प्रथम प्रश्नपत्र यानी सामान्य अध्ययन के आधार पर किया जाता है।

कट-ऑफका स्तर (Cut-off Level)

जितने अंकों के साथ अंतिम उम्मीदवार सफल होता है. स्तर को कट-ऑफकहा जाता है। मान लीजिये कि कुल 12,000 उम्मीदवारों का चयन किया जाना है। इसके लिये सभी उम्मीदवारों के कुल प्राप्तांकों की सूची बनाई जाएगी तथा ऊपर से 12,000- उम्मीदवारों को चुन लिया जाएगा। इन चुने गए उम्मीदवारों में से अंतिम के जितने प्राप्तांक होंगे, उसी को कट-ऑफकहा जाएगा। उस
सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों की तुलना में आरक्षित वर्गों तथा दिव्यांग (विकलांग) वर्ग के उम्मीदवारों के लिये कट-ऑफ कुछ कम होता है। वर्ष
2015 से 2021 की प्रारंभिक परीक्षाओं में विभिन्न वर्गों के लिये कट-ऑफइस प्रकार रहा-

उपर्युक्त तालिका से स्पष्ट है कि कट-ऑफहमेशा स्थिर नहीं रहता है। उम्मीदवारों की संख्या, उनकी योग्यता तथा प्रश्नपत्रों के कठिनाई स्तर के बदलने के साथ-साथ यह हर वर्ष कुछ ज्यादा या कम होता रहता है। कट-ऑफ का निर्धारण सिर्फ सामान्य अध्ययन के आधार पर किया जाता है। ध्यान रहे कि अंकों की ये गणनाएँ ऋणात्मक अंकन से हुए नुकसान को घटाने के बाद की अर्थात् शुद्ध प्राप्तांकों की हैं। इसका अर्थ है कि प्रत्येक 3 गलत उत्तरों के बदले 1 सही उत्तर कम करके अपने प्राप्तांकों की गणना करनी चाहिये।

आयु सीमा (Age Limit)

वर्ग (Category)

आयु सीमा (Age Limit)

सामान्य वर्ग

21 से 32 वर्ष 21 से 35 वर्ष

अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC)

अनुसूचित जाति (SC)

21 से 37 वर्ष

अनुसूचित जनजाति (ST)

21 से 37 वर्ष

आयु की गणना परीक्षा के वर्ष के 1 अगस्त से की जाएगी।

जो अभ्यर्थी 1 जनवरी, 1980 से 31 दिसंबर, 1989 के बीच
जम्मू एवं कश्मीर में निवासरत थे उन्हें आयु में अधिकतम
5
वर्ष की छूट मिलेगी।

सामान्य अध्ययन (प्रारंभिक परीक्षा) का पाठ्यक्रम

| Syllabus of General Studies (Preliminary Examination)) प्रारंभिक परीक्षा के प्रश्नपत्र-1 का संबंध सामान्य अध्ययन से
है। इसका पाठ्यक्रम निम्नलिखित है-
1. राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ (Current
Events of National and International Importance)! 2. भारत का इतिहास और भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन (History of 3. भारत एवं विश्व का भूगोल : भारत एवं विश्व का प्राकृतिक, सामाजिक, आर्थिक भूगोल (Indian and World Geography – Physical, Social, Economic Geography of India and the World)

4. भारतीय राज्यतंत्र और शासन- संविधान, राजनीतिक प्रणाली, पंचायती राज, लोकनीति, अधिकारों संबंधी मुद्दे आदि (Indian Polity and Governance-Constitution, Political System,
Public Policy, Rights Issues etc.)5. आर्थिक और सामाजिक विकास सतत् विकास, गरीबी, समावेशन, जनसांख्यिकी, सामाजिक क्षेत्र में की गई पहलें आदि (Economic and Social Development-Sustainable Development, Poverty, Inclusion, Demographics, Social Sector initiatives etc.)

6. पर्यावरणीय पारिस्थितिकी, जैव-विविधता और जलवायु परिवर्तन संबंधी सामान्य मुद्दे, जिनके लिये विषयगत विशेषज्ञता आवश्यक नहीं है (General issues on Environmental Ecology, Bio-diversity & Climate Change that do not require subject specialization) |

7. सामान्य विज्ञान (General Science) |

प्रारंभिक परीक्षा में सामान्य अध्ययन के विभिन्न खंडों का तुलनात्मक महत्त्व (Relative Importance of General Studies different Segments in Preliminary Examination)

सामान्य अध्ययन के प्रश्न पाठ्यक्रम में शामिल विभिन्न खंडों/ विषयों से किस अनुपात में पूछे जाएंगे, यह निश्चित नहीं है। आमतौर पर इतिहास, राजव्यवस्था, पर्यावरण व पारिस्थितिकी, अर्थव्यवस्था और भूगोल से ज्यादा प्रश्न पूछे जाते हैं, लेकिन 2016 में इसमें आमूलचूल परिवर्तन देखा गया। परिवर्तन की यह प्रवृत्ति 2020, 2021 और 2022 में भी विद्यमान रही। इस तरह, प्रश्नों के अनुपात की प्रवृत्ति बिल्कुल ही अनिश्चित है। नीचे दी गई तालिका में आप देख सकते हैं कि 2015 से 2022 तक विभिन्न खंडों से पूछे जाने वाले प्रश्नों का अनुपात क्या रहा है-

तैयारी की उचित रणनीति क्या होनी चाहिये?

  1. तैयारी की रणनीति सभी के लिये एक जैसी नहीं हो सकती क्योंकि किसी की शैक्षणिक पृष्ठभूमि कुछ है, तो किसी की कुछ और। उदाहरण के लिये, अगर किसी उम्मीदवार ने इतिहास, भूगोल और अर्थशास्त्र विषयों के साथ स्नातक स्तर की पढ़ाई की है किंतु उसे विज्ञान पढ़ने में समस्या होती है तो उसकी रणनीति इन्हीं तथ्यों के आलोक में बनेगी।
  2. इसके विपरीत, कुछ उम्मीदवार ऐसे भी होंगे जो इंजीनियर या डॉक्टर होने के कारण विज्ञान में अत्यंत सहज हैं किंतु उनका मन इतिहास की पुस्तक को देखने का भी नहीं होता।
  3. स्वाभाविक ही है कि इनकी रणनीति अलग तरीके से बनेगी।

 

  1. मोटे तौर पर, रणनीति के संबंध में कुछ सुझाव ये हो सकते हैं-
  2. उम्मीदवार को सभी खंडों पर बराबर बल देने की बजाय कुछ चुने हुए खंडों पर अधिक बल देना चाहिये। उसे कम-से-कम इतने खंड चुन लेने चाहिये जिनसे सम्मिलित रूप से 80-85 प्रश्न आने की प्रवृत्ति दिखाई पड़ती हो ताकि वह गंभीर तैयारी से लगभग 65-70 प्रश्न ठीक कर सके।
  3. शेष एकाध खंड को छोड़ देना अच्छी बात तो नहीं है, लेकिन प्रारंभिक परीक्षा नजदीक होने पर आपात योजना के रूप में इसे ठीक माना जा सकता है।

 

  1. उदाहरण के लिये अगर आप विज्ञान की पृष्ठभूमि से नहीं हैं, तो बचे हुए समय में आप विज्ञान सीखने की बजाय बाकी खंडों पर महारत हासिल करने की कोशिश करें।
  2. यदि आप विज्ञान के 16-17 प्रश्नों को छोड़ भी देंगे तो शेष खंडों में पूरी ताकत झोंक कर शेष 83-84 प्रश्नों में से 60-70 का सही जवाब देने की कोशिश कर सकते हैं जो कि परीक्षा में उत्तीर्ण होने के लिये काफी हैं। यह बात पुनः दोहराना ज़रूरी है कि यह रणनीति समय की सभी खंडों कमी होने पर ही अपनाई जानी चाहिये।
  3. गर आपके पास तैयारी के लिये पर्याप्त समय है (1 वर्ष या अधिक) में गंभीर अध्ययन करना ही अच्छा होगा।upcs
  4. अगर आप गौर से पुराने प्रश्नपत्रों को देखें, तो पाएंगे कि सभी खंडों के भीतर कुछ विशेष उप- खंडों से प्रायः ज्यादा प्रश्न पूछे जाते हैं।
  5. बेहतर होगा कि आप उन पर अधिक समय दें। उदाहरण के लिये, इतिहास खंड के अंतर्गत दो क्षेत्रों से बहु ज्यादा प्रश्न पूछे जाने की प्रवृत्ति दिखती है- एक तो स्वतंत्रता आंदोलन से, और दूसरे कला व संस्कृति से।
  6. अगर आप इन दो खंडों को ठीक से पढ़ लें, तो इतिहास के लगभग 70-80% प्रश्न मिल जाने की संभावना है। कला-संस्कृति के अंतर्गत प्राचीन भारत पर विशेष ध्यान दें। मध्यकालीन भारत से तो प्रायः एकाध प्रश्न ही पूछा जाता रहा है।upcs

 

  1. इसी तरह, विज्ञान में नई टेकनोलॉजी से सबसे ज्यादा प्रश्न पूछे जाते हैं जो विज्ञान के प्रश्नों में लगभग 60-70% तक रहते हैं। विज्ञान में जीव विज्ञान एवं भौतिकी से प्राय: 3-4 सवाल पूछे जाते हैं जबकि रसायन विज्ञान से बमुश्किल 1-2 सवाल।
  2. आजकल अधिकांश प्रश्न विज्ञान की नई तकनीकों से पूछे जा रहे हैं, जो सामान्यतः मुख्य परीक्षा में पूछे जाते रहे हैं। अतः इन खंडों पर भी ध्यान देने की ज़रूरत है।upcs
  3. जहाँ तक भूगोल की बात है भारत एवं विश्व के भूगोल से लगभग बराबर प्रश्न पूछे जाने का चलन रहा है। हालाँकि 2019, 2020, 2021 में इस खंड से बहुत कम प्रश्न पूछे गए, लेकिन 2022 में विश्व के भूगोल से प्रश्न की संख्या में वृद्धि हुई है।
  4. इस आधार पर इसे नज़रअंदाज़ करना बहुत बड़ी भूल होगी। बेहतर होगा कि दोनों खंडों को लगभग बराबर मात्रा में तैयार कर लिया जाए।upcs

 

  1. ध्यान देने योग्य एक अन्य बात यह है कि उम्मीदवार को ज़्यादा मेहनत उन खंडों के लिये करनी चाहिये, जो मुख्य परीक्षा के पाठ्यक्रम में भी शामिल हैं। इससे परीक्षा के आगामी तथा वास्तविक चरणों में सफलता की संभावना बढ़ जाती है।
  2. उदाहरणके लिये, इतिहास खंड को देखें तो आधुनिक भारत का इतिहास मुख्य परीक्षा के पाठ्यक्रम में भी शामिल है जबकि प्राचीन और मध्यकालीन भारत का इतिहास नहीं।
  3. अतः प्रारंभिक परीक्षा में आधुनिक भारत का इतिहास विस्तारपूर्वक पढ़ने पर मुख्य परीक्षा में भी बेहतर परिणाम की संभावना बढ़ जाती है।

 

  1. इस बात पर भी ध्यान दें कि सामान्य अध्ययन के पाठ्यक्रम के जो खंड सिर्फ मुख्य परीक्षा में पूछे जाते हैं, उन्हें प्रारंभिक परीक्षा के लिये शेष बचे दो-ढाई महीनों में न पढ़ा जाए।
  2. इन खंडों में अंतर्राष्ट्रीय संबंध, सामाजिक न्याय, आंतरिक सुरक्षा, आपदा प्रबंधन, विश्व इतिहास तथा एथिक्स आदि शामिल हैं। upcs

                                             UPSC  सामान्य अध्य्यन से संबन्धित सारणी upcs

upcs सामान्य अध्यय्न (General Studies : An Introduction)

पाठ्यक्रम की चुनौती (Challenge of Syllabus) upcs आई.ए.एस. या सिविल सेवक  पाठ्यक्रम की चुनौती (Challenge of Syllabus) तैयारी की उचित रणनीति क्या होनी चाहिये?

 

सीसैट क्या है? (What is CSAT?)

सामान्य अध्ययन में ऐसे प्रश्न पूछे जाएंगे जिनके उत्तर एक सुशिक्षित व्यक्ति बिना किसी विशेषज्ञतापूर्ण अध्ययन के दे सकता है।

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सामान्य अध्ययन का पाठ्यक्रम इतना विस्तृत और समावेशी है। कि उसे गंभीरता के साथ कम-से-कम एक वर्ष का समय देना जरूरी है। हिंदी माध्यम के विद्यार्थियों के लिये तो सामान्य अध्ययन दोहरी चुनौती पेश करता है। अगर आप सचमुच आई.ए.एस. या सिविल सेवक बनना चाहते हैं तो सामान्य अध्ययन को पूरे विस्तार और गहराई से पढ़े बिना आपका अपनी मंजिल तक पहुँचना आसान नहीं है।

 

  1. सिविल सेवा परीक्षा 3 चरणों में संपन्न होती है जिसका पहला चरण प्रारंभिक परीक्षाकहलाता है। इस पहले चरण की प्रकृति वस्तुनिष्ठ प्रकार की होती है।
तैयारी की रणनीति सभी के लिये एक जैसी नहीं हो सकती क्योंकि किसी की शैक्षणिक पृष्ठभूमि कुछ है, तो किसी की कुछ और। उदाहरण के लिये, अगर किसी उम्मीदवार ने इतिहास, भूगोल और अर्थशास्त्र विषयों के साथ स्नातक स्तर की पढ़ाई की है प्रारंभिक परीक्षा के सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-2 को सीसैट (CSAT) या सिविल सेवा अभिरुचि परीक्षण‘ (Civil Services Aptitude Test) कहा जाता है जिसे 2011 से परीक्षा प्रणाली में शामिल किया गया है। दरअसल, ‘सीसैटकी संकल्पना पहली बार वाई. के. अलघ समिति की रिपोर्ट में 2001 में प्रस्तावित की गई थी।
  1. यह मानकर चलना चाहिये कि अभ्यर्थी चाहे जितनी भी तैयारी कर लें हर खंड में कुछ न कुछ ऐसे प्रश्न जरूर होंगे जो उनकी जानकारी की परिधि से बाहर के होंगे। आप जिस भी खंड की तैयारी गंभीरता से करें, लक्ष्य यह रखिये कि उसके 70-80% प्रश्न आपसे हल हो जाएँ।
  2. अगर आप 100% प्रश्नों के फेर में पड़ेंगे, तो एक ही खंड की तैयारी में अनुत्पादक तरीके से बहुत समय नष्ट कर देंगे। upcs
  3. सामान्य अध्ययन की तैयारी में यह ध्यान रखना भी जरूरी हैं कि इसमें सभी खंडों के प्रश्न काफी गहरे स्तर के होते हैं और वे विषय की सूक्ष्म समझ की मांग करते हैं। आमतौर पर हर प्रश्न में कुछ तथ्य या कथन देकर उनके संयोजन से जटिल विकल्प बनाए जाते हैं
  4. ताकि स्थूल समझ वाले उम्मीदवार सफल न हो सकें। उदाहरण के लिये, अधिकांश प्रश्नों में आरंभ में 3-4 कथन या तथ्य दिये जाते हैं जिनमें से कुछ सही होते हैं और कुछ गलत ।

 

  1. प्रायः ऐसा होता है कि उम्मीदवार उनमें से कुछ तथ्यों से परिचित होता है और कुछ से नहीं। उसके बाद, उन तथ्यों को आपस में जोड़कर उम्मीदवार को 4 जटिल विकल्प दिये जाते हैं, जैसे (i) कथन 1.3 तथा 4 सही हैं और कथन 2 गलत, (ii) कथन 1, 2 तथा 4 सही हैं और कथन 3 गलत। उम्मीदवार को ऐसे जटिल विकल्पों में से एक सही विकल्प चुनना होता है।
  2. इसमें प्रश्न के गलत होने का खतरा तो होता ही है, साथ ही कठिन विकल्पों के कारण प्रश्नों को हल करने में ज़्यादा समय भी लगता है और अंत में समय-प्रबंधन खुद एक चुनौती बन जाता है।

 

इस चुनौती से निपटने का तरीका यह है कि पेपर में सबसे पहले वही प्रश्न हल किये जाएँ जो अभ्यर्थी की जानकारी के क्षेत्र से हैं और उन्हें पर्याप्त समय दिया जाए। बीच-बीच में जो प्रश्न नहीं आते हैं या जिन पर गहरा अध्ययन नहीं है, उन्हें निशान लगाकर छोड़ देना चाहिये और अगर अंत में समय बचे तो उनका उत्तर देने की कोशिश करनी चाहिये, नहीं तो उन्हें छोड़ देने में ही भलाई है। सीसैट (CSAT)

सीसैट क्या है? (What is CSAT?)

  1. प्रारंभिक परीक्षा के सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-2 को सीसैट (CSAT) या सिविल सेवा अभिरुचि परीक्षण‘ (Civil Services Aptitude Test) कहा जाता है जिसे 2011 से परीक्षा प्रणाली में शामिल किया गया है।
  2. दरअसल, ‘सीसैटकी संकल्पना पहली बार वाई. के. अलघ समिति की रिपोर्ट में 2001 में प्रस्तावित की गई थी। सिविल सेवा परीक्षा में सुधारों पर विचार करने के लिये गठित की गई इस समिति ने सुझाव दिया था कि प्रारंभिक परीक्षा में वैकल्पिक विषय के साथ सीसैटकी परीक्षा होनी चाहिये तथा सामान्य अध्ययन को सिर्फ मुख्य परीक्षा तक सीमित रखा जाना चाहिये।
  3. 2011 में संघ लोक सेवा आयोग ने इस सुझाव को कुछ बदलते हुए वैकल्पिक विषय को हटा दिया तथा सामान्य अध्ययन के साथ सीसैटकी परीक्षा को प्रस्तावित किया।

खण्डों मे विभक्त किया गया है ।

  1. सीसैट काफी हद तक किसी भी अन्य एप्टीट्यूड टेस्ट (Aptitude Test), जैसे- कैट (CAT), मैट (MAT), जीमैट (GMAT) के समान है और यह भी इन परीक्षाओं की तरह उम्मीदवार की बौद्धिक क्षमता की जाँच करता है; पर चूँकि हर क्षेत्र में बौद्धिक क्षमताओं के अलग-अलग समुच्चय या संयोजन की जरूरत होती है, इसलिये सीसैट में प्रश्नों की प्रकृति तथा अनुपात सिविल सेवाओं या प्रशासन की आवश्यकताओं के आधार पर निर्धारित किया गया है।
  2. उदाहरण के तौर पर, इसमें शामिल गणित और अंग्रेज़ी के प्रश्न कैट (CAT) जैसी परीक्षाओं के स्तर से काफी आसान होते हैं क्योंकि प्रशासन चलाने की प्रक्रिया में प्रायः उस स्तर पर गणित व अंग्रेज़ी की आवश्यकता नहीं पड़ती।
  3. इसी तरह इसमें प्रशासन की समस्याओं से जुड़े निर्णयन व समस्या समाधान (Decision Making & Problem Solving) के कुछ प्रश्न होते हैं जो प्रबंधन (Management) की समस्याओं से अलग प्रकृति के होते हैं।

upcs कुल मिलाकर, ‘सीसैटबौद्धिक स्तर/बुद्धिलब्धि (Intelligence Quotient) की एक परीक्षा है जो विशेष तौर पर सिविल सेवाओं के लिये आवश्यक बौद्धिक क्षमताओं का परीक्षण करने के उद्देश्य से प्रस्तावित की गई है।

सीसैट की भूमिका (Role of CSAT)

upcs जैसा कि आपको पता है कि प्रारंभिक परीक्षा में सीसैट प्रश्नपत्र न क्वालीफाइंग पेपर के रूप में है। अतः किसी भी अभ्यर्थी को प्रारंभिक इन परीक्षा पास करने के लिये सीसैट प्रश्नपत्र में 33% अंक प्राप्त करने का आवश्यक होते हैं। विदित है कि प्रारंभिक परीक्षा में सीसैट प्रश्नपत्र ही में 80 प्रश्न पूछे जाते हैं जिसमें प्रत्येक प्रश्न के लिये 2.5 अंक निर्धारित होते हैं और इस तरह सीसैट प्रश्नपत्र कुल 200 अंकों का

मुख्य परीक्षा क्या है? (What is Main Examination?)

upcs सिविल सेवा परीक्षा का दूसरा चरण मुख्य परीक्षाकहलाता है। प्रारंभिक परीक्षा का उद्देश्य सिर्फ इतना है कि सभी उम्मीदवारों में से कुछ गंभीर व योग्य उम्मीदवारों को चुन लिया जाए तथा वास्तविक परीक्षा उन चुने हुए उम्मीदवारों के बीच आयोजित कराई जाए। प्रारंभिक परीक्षा में सफल होने वाले उम्मीदवारों को सामान्यत: सितंबर माह के दौरान मुख्य परीक्षा देने के लिये आमंत्रित किया जाता है। गौरतलब है कि जहाँ प्रारंभिक परीक्षा पूरी तरह वस्तुनिष्ठ (Objective) होती है, वहीं मुख्य परीक्षा में अलग-अलग शब्द सीमा वाले वर्णनात्मक (Descriptive) प्रश्न पूछे जाते हैं। इन प्रश्नों में विभिन्न विकल्पों में से उत्तर चुनना नहीं होता बल्कि अपने शब्दों में लिखना होता है। यही कारण है कि मुख्य परीक्षा में सफल होने के लिये अच्छी लेखन शैली को भी एक महत्त्वपूर्ण योग्यता माना जाता है।

मुख्य परीक्षा की संरचना व प्रणाली (Structure & System of Main Examination)

upcs मुख्य परीक्षा कुल 1750 अंकों की होती है जिसमें 1000 अंक सामान्य अध्ययन के लिये (250-250 अंकों के 4 प्रश्नपत्र), 500 अंक एक वैकल्पिक विषय के लिये (250-250 अंकों के 2 प्रश्नपत्र) तथा 250 अंक निबंध के लिये निर्धारित हैं। इसके अलावा, 300-300 अंकों के दो प्रश्नपत्र [अंग्रेजी तथा भारतीय भाषा (हिंदी या कोई अन्य भाषा)] होते हैं, जो क्वालीफाइंग प्रकृति के हैं। भारतीय भाषा में न्यूनतम अर्हता अंक 25% (75) तथा अंग्रेज़ी में भी न्यूनतम अर्हता अंक 25% (75) निर्धारित किये गए हैं। upcs

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